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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे
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प्रकार के उपसर्ग हुए। वे इस प्रकार हैं- [ संसप्पा य जे पाणा ते अदुवा पक्खिणो भगवं उवसग्गसु] संसर्पण करनेवाले सर्प आदि जो प्राणी थे, उन्होंने तथा पक्षियों ने भगवान् को उपसर्ग किया। [ पहुरूवमोहियाओ इत्थियाओ य भगवं उवसग्गस ] प्रभु के रूप पर मोहित होकर स्त्रियों ने प्रभु को उपसर्ग किया [सन्ति हत्थगा गामरक्खगा य किं वि अवयमाणंभगवं चोरसंकाए सत्थाभिघाएण उवसग्गिसु) शक्ति नामक शस्त्र हाथ में लिये हुए ग्रामरक्षक कुछ भी नहीं बोलते हुए भगवान् को चोर समझ कर शस्त्र का आघात करके उपसर्ग देते थे [भगवं ते सव्वे उवसग्गे अहियासीअ] भगवान् ने उन सभी उपसगों को अच्छी तरह समभाव से सहन किया [अहय इहलोइयाई परलोइयाई अणेगरुवाईपियाई अप्पियाई साई ] इह लोग और परलोक संबन्धी अनेक प्रकार के प्रिय एवं अप्रिय शब्दों को [अगवाई भीमाइरूवाई] विविध प्रकार के भयंकर आदि रूपों को [अणेगरूबाई सुब्भिदुब्भिगंधाई] भांति भांति की सुगन्ध दुर्गन्ध को [विरूवरूवाई
भगवतो विहारस्थान
वर्णनम्
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