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तीर्थकरा
भिषेक
निरूपणम्
कल्पसूत्रे
देवों को बुलाती हैं और कहती है, अहो देवानुप्रिय ! अनेक स्तंभवाला और लीलासमन्दार्थ सहित पुत्तलियों वाला वगैरह वर्णनयुक्त यावत् एक योजन का चौडा विमान की विकु॥१९॥ र्वणा करो और मुझे मेरी आज्ञा पोछे दो. वे ऐसा ही करके उनकी आज्ञा पीछी देते
हैं ॥१॥ तत्पश्चात् अधोलोकमें रहनेवाली महत्तरिका आठ दिशाकुमारियां हृष्टतुष्ट होकर अपने अपने चार हजार सामानिक चार महत्तरिका यावत् अन्य बहुत देव एवं देवियों
सहित परवरी हुई दिव्य यान विमान पर बैठ कर फिर सब ऋद्धि सब युति सहित III धन मृदंग व झूसिर के शब्द से उत्कृष्ट दिव्य देवगति से जहां भगवान् तीर्थंकर का
जन्म लेने का नगर है वहां आती है, वहां जन्म भवन को अपने दीव्य यान विमान | से तीन वार प्रदक्षिणा करती है फिर ईशान कोन में पृथ्वी से चार अंगुल ऊपर विमान All रखकर चार हजार सामानिक देव सहित यावत् अपने परिवार से परवरी हुई सब ऋद्धि
| युति यावत् मृदंगो के शब्द से जहां भगवान् तीर्थंकर व उनकी माता है वहां आती है
॥१९॥