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तीर्थकराभिषेकन
कल्पसूत्रे | अपने परिवार सहित सात अनिक सात अनिकाधिपति सोल हजार आत्मरक्षक देव सशब्दार्थे और अन्य बहुत भवनपति वाणव्यंतर देव वा देवियों सहित पखरी हुई बडे नृत्य गीत
व ॥१८॥
वादित्र सहित यावत् भोग भोगती हुई विचरती हैं । इनके नाम-१ भोगंकरा २ भोगवती ।। ३ सुभोगा ४ भोगमालिनी.५ तोयधारा ६. विचित्रा ७ पुष्पमाला ८ अनिंदिका इस
समय अधोलोक में रहनेवाली महत्तरिका दिशाकुमारीका के अपने २ आसन चलायमान होते हैं अपने आसन चलायमान हुवा देखकर वे अवधिज्ञान प्रयुंजते हैं, और भगवान् तीर्थंकर को अवधिज्ञान से देखते हैं फिर सब परस्पर मिलकर ऐसा कहते हैं अहो देवानुप्रिय ? जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में क्षत्रीयकुंड नगर में भगवान् तीर्थकर उत्पन्न हुए हैं, और अतीत वर्तमान व अनागत अधोदिशा में रहनेवाली महत्तरिका दिशाकुमारिओं का यह जीताचार है कि तिर्थंकर का जन्माभिषेक करे, इससे अपने को भी तीर्थंकर का जन्म महोत्सव करने को जाना चाहिए यों कहकर प्रत्येक आभियोगिक
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