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कल्पसूत्रे सशब्दार्थे ॥१४८॥
भगवतो. विवाहः स्वजनवर्णनंच
कन्या से शेषवती नामक पुत्री हुइ [समणस्स भगवओ महावीरस्स पिउणो कासवगोत्तस्स तओ नामधेज्जा] श्रमण भगवान महावीर के काश्यपगोत्रीय पिता के तीन नाम थे [सिद्धत्थेत्ति वा, सेज्जंसेति वा, जसंसेति वा] सिद्धार्थ, श्रेयांस और यशस्वी [माउणो वासिगुत्ताए तिसलेति, वा विदेहदिण्णेति वा, पियकारिणीति वा तओ नाम धेज्जा] वासिष्ठगोत्रीय माता के तीन नाम थे-त्रिशला विदेहदत्ता, और प्रियकारिणी
[भगवओ पित्तियए सुपासे कासवगोत्ते] भगवान के काका काश्यपगोत्रीय सुपार्श्व थे। [जेट्टे भाया नंदीवद्धणे कासवगोत्ते] एवं बडे भ्राता काश्यपगोत्रीय नन्दिवर्द्धन थे। [जेट्टा भइणी सुदंसणा कासवगोत्ता] बड़ी बहन सुदर्शना भी काश्यप गोत्रीय थी [भज्जा जसोया कोडिण्णगोत्ता] और उनकी पत्नी यशोदा कौडिन्यगोत्र की थी [धूयाए कासवगुत्ताए अणोज्जाइ वा पियदंसणाइ वा दो नामधिज्जा] उनकी काश्यपगोत्र की लडकी के दो नाम थे-अनवद्या और प्रियदर्शना [णत्तुईए कोसियगोत्ताए सेसवईति वा
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