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________________ A भगवंतः। कलाचार्य समीपे प्रस्थानादि वर्णनम् कल्पसूत्रे देवराज का आसन चलायमान हुआ। सशब्दार्थे ___ आसन कम्पायमान होने पर अवधिज्ञान का उपयोग लगाने से आसन के कांपने ।१३६॥ का कारण ज्ञात हो गया। तब शकेन्द्र शीघ्र ही देवलोक से चला और ब्राह्मण का रूप बना कर प्रभु के पास आया। प्रभु को उच्च आसन पर प्रतिष्ठित करके, जो प्रश्न 1 कलाचार्य के हृदय म संशय रूप से स्थित थे, वे ही प्रश्न पूछे। उन प्रश्नों में सर्वप्रथम इन्द्र ने व्याकरण संबंधी प्रश्न पूछा। भगवान् वर्द्धमान स्वामीने उस प्रश्न की उचित रूप से व्याख्या करके, थोडे ही अक्षरों में समस्त व्याकरणशास्त्र कह दिया। तभी से । 'जैनेन्द्र व्याकरण' की प्रसिद्धी हुई। H: व्याकरण-विषयक प्रश्न के पश्चात् इन्द्र ने नैगमादिनयों का तथा प्रत्यक्ष, परोक्ष प्रमाणों का स्वरूप पूछा। भगवान् ने संक्षेप में उसका उत्तर देकर सम्पूर्ण न्यायशास्त्र का सार प्रकाशित कर दिया। तत्पश्चात् इन्द्र ने धर्म के विषय में प्रश्न किया। भगवान् . ॥१३६॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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