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________________ कल्पपुत्रे शब्दार्थे ॥ ११८ ॥ श्री महावीर काश्यप गोत्रीय थे। उनके यह तीन नाम इस प्रकार कहे जाते हैं- माता-पिता का रखा हुआ नाम 'वर्द्धमान' । सहभाविनी (जन्म-जात) तपश्चर्या आदि की शक्ति के कारण दूसरा नाम 'श्रमण' । इन्द्रादि देवों द्वारा रक्खा हुआ तृतीय नाम - 'महावीर' ॥३२॥ मूलम् - तर णं भगवं महावीरे कमेण धवलदलविलसंतावितिया चंदोव्व सोम्मकरेहिं संतगुणनियरेहिं गिरिकंदरमल्लीणे चंपगपायवेव वएणं संवडूढइ । एवं से भगवं महावीरे मऊरपक्खकागपक्खसोहीहिं सवएहिं सिमूहिं सद्धिं बालवओ अणुरूवं गोवियसरूवं कीलेइ । एगया देवलोए देवगणालंकिया सुहम्माए सहाए समासीणो सुणासीरो सोहम्मदो अणुवमगुणेहिं वद्धमाणस्स वद्धमाणस्स पहुणो परकमं वण्णिउं उवकम तं सच्चा निसम्म सव्वे देवा देवीओ य हरिसवसविसप्पमाणहियया भगवतो. वाल्याव स्थावर्णनम् ॥ ११८ ॥
SR No.009361
Book TitleKalpsutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages912
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpsutra
File Size49 MB
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