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1 -करवाया। भोजन करवाकर, मित्र ज्ञाति, स्वजन, संबंधी और परिजनों के सामने आगे . मातापित्
भ्याम् कृत शब्दार्थे कहे जाने वाले वचन कहे-'जब से हमारा यह बालक गर्भ में आया है तब से लेकर
भगवतो१११६॥ हमारा यह कुल विपुल हिरण्य से-चांदी से, सुवर्ण से-सोने से, धन से, गाय घोडा । नामाभि
धानम् आदि से धान्य से-त्रीहि, शालि, जौ, आदि से विभव से, आनन्द से ऐश्वर्य से धन |
या जन के अधिपतित्व से, ऋद्धि से-सम्पत्ति से, सिद्धि से-इष्ट वस्तुओं की प्राप्ति । से, समृद्धि से, बढती हुई सम्पत्ती से, सत्कार से जनता द्वारा किये जाने वाले उत्थान ॥ | आदि सत्कार से, सम्मान से, आसन देने आदि रूप सम्मान, से, पुरस्कार से सब
कामों में अगुवापन से राज्य से-स्वामी, आमात्य, मित्र, कोष, राष्ट्र, दुर्ग और सेना इन सात अंगोवाले राज्य से राष्ट्र से,-देश से, बल से, सेना से वाहन से रथ आदि वाहनों से, कोष से-रत्नों आदि के भंडार से, कोष्ठागार से-धान्य भंडार से, पुर से-नगर से, अन्तः पुर से-रनवास के परिवार से, जनपद से-देश प्राप्ति से, जानपद से प्रजा से, - ॥११६॥.