SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 326
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥छट्ठो उद्देसो॥ भिक्खू य इच्छेज्जा नायविहिं एत्तए, नो से कप्पई थेरे अणापुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, कप्पइ से थेरे आपुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, थेरा य से वियरेज्जा एवं से कप्पइ नायविहि एत्तए, थेरा य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पई नायविहिं एत्तए, जं तत्थ थेरेहिं अविइण्णे नायविहिं एइ, से संतरा छेए वा परिहारे वा ॥१॥ नो से कप्पइ अप्पसुयस्स अप्पागमस्स एगाणियस्स नायविहि एत्तए ॥२॥ कप्पइ से जे तत्थ बहुस्सुए वभागमे तेण सद्धिं नायविहि एत्तए ॥३॥ तत्थ से पुव्वागमणेणं पुवाउत्ते चाउलोदणे, पच्छाउत्ते भिलिंगम्वे कप्पड़ से चाउलोदणे पडिग्गाहित्तए, नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिग्गाहित्तए ॥४॥ तत्थ पुव्वागमणेणं पुवाउत्ते भिलिंगवे, पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से मिलिंगसूवे पडिग्गाहित्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिग्गाहित्तए ॥५॥ तत्थ से पुन्यागमणेणं दोवि पुवाउत्ता कप्पड़ से दोवि पडिग्गाहित्तए ॥६॥ तत्थ से पुव्वागमणेणं दोवि पच्छाउत्ता नो से कप्पइ दोवि पडिग्गाहित्तए ॥७॥ जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पुवाउत्ते, से कप्पइ पडिग्गाहित्तए ॥८॥ जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पच्छाउत्ते, नो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए ॥९॥ आयरियउवज्झायस्य गणंसि पंच अइसेसा पन्नत्ता, तं जहा-आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स पाए निगिज्झिय निगिज्झिय पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा नो अइक्कमइ ॥१०॥ आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स उच्चारपासवणं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा नो अइक्कमइ ॥११॥ आयरियउवज्झाए पभू वेयावडियं इच्छा करेज्जा इच्छा नो करेज्जा ॥१२।। आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अइकमई ॥१३॥ आयरियउवज्झाए वाहि उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अइक्कमई ॥१४॥ गणावच्छेयगस्स णं गणंसि दो अइसेसा पन्नत्ता तं जहा-गणावच्छेयए अंतों उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अइक्कमइ ॥१५॥
SR No.009358
Book TitleVyavaharasutram evam Bruhatkalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages536
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy