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________________ णिग्गथीए णं नवडहरतरुणीए आयारपकप्पे नामं अज्झयणे परिभट्टे सिया, सा य पुच्छियव्वा केण ते कारणेणं अज्जे ! आयारपकप्पे नाम अज्झयणे परिभहे किं आवाहेणं उदाहु पमाएणं ? सा य वएज्जा नो आवाहेणं पमाएण, जावज्जीवाए तीसे तप्पत्तियं नो कप्पइ पवत्तिणित्तं वा जाव गणावच्छेइणित्तं चा उदिसित्तए वा धारित्तए वा, सा य वएज्जा-आवाहेणं नो पमाएणं सा य संठवेस्सामित्ति संठवेज्जा, एवं से कप्पइ पवत्तिणित्तं वा जाव गणावच्छेइणित्तं वा उदिसित्तए वा धारित्तए वा, सा य संठवेस्सामित्ति नो संठवेज्जा एवं से नो कप्पइ पवत्तिणित्तं वा जाव गणावच्छेइणित्त वा उद्दिसित्तए वा धारित्तए वा ॥१६॥ थेराण थेरभूमियत्ताणं आयारपकप्पे नाम अज्झयणे परिभट्टे सिया कप्पइ तेसि संठवेत्ताण वा असंठवेत्ताण वा आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयगत्तं वा उदिसित्तए वा धारित्तए वा ॥१७॥ थेराणं थेरभूमिपत्ताणं आयारपकप्पे णामं अज्झयणे परिन्भटे सिया कपइ तेर्सि संनिसण्णाण वा संतुयहाण वा उत्ताणयाण वा पासल्लियाण वा आयारपकप्पे नामं अज्झयणे दोच्चंपि तच्चपि पडिपुच्छित्तए वा पडिसारेत्तए चा ॥१८॥ जे णिगंथा णिग्गंथीओ य संभोइया सिया, नो ण्इं कप्पइ अन्नमन्नस्स अंतिए आलोएत्तए, अत्धि या एत्थ केइ आलोयणारिहा कप्पह से तेसिं अंतिए आलोएत्तए, नत्थि या एत्थ केह आलोयणारिहा एवं ण्हं कप्पइ अन्नमन्नस्स अंतिए आकोएत्तए ॥१९॥ णिग्गंथं च णं राओ वा वियाले वा दीडपट्टो वा लुसेज्जा इत्थी वा पुरिसस्स ओमावेज्जा पुरिसो वा इत्थीए ओमावेज्जा, एवं से कप्पइ एवं से चिट्ठा परिहारं च नो पाउणइ एस कप्पे थेरकप्पियाणं । एवं से नो कप्पइ एवं से नो चिटइ परिहारं च नो पाउणइ एस कप्पे जिणकप्पियाणं ति बेमि ॥२१॥ ॥ ववहारस्स पंचमो उद्देसो समत्तो ॥५॥ MYEN
SR No.009358
Book TitleVyavaharasutram evam Bruhatkalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages536
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, & agam_vyavahara
File Size32 MB
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