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- ॥ अथ द्वितीयं प्राभृतं प्रारभ्यते ॥ गतं विशतिमूलप्राभृतेषु प्रथ' मूलप्रामृतम्, अथ, द्वितीतं प्रामृतं प्रारभ्यते, अत्र त्रीणि प्रामृतप्रा भृतानि सन्ति तेषु प्रथम प्राभृतप्रामृतं प्रोच्यते, तत्र चायमर्थाधिकारः-'कथं सूर्यस्तिर्यक् परिभ्रमति" इति एतद्विषये प्रथम सुत्रमाह-'ता कहं ते तिरिच्छगई' इत्यादि
मूलम-ता कहं ते तिरिच्छगई आहितेति वएज्जा ? तत्थ खलु इमाओ अट्ट पडिवत्तीओ पण्णत्ताओ, तं जहा तत्थेगे एवमाइंसु-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ मरोची आगासंसि उत्तिइ, से णं इमं लोयं तिरियं करेइ, करित्ता पच्चस्थिमिल्लसि लोयंसि सायं आगासंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंस :१। एगे पुण एवमाहंसु-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सरिए आगासंसि उत्तिहइ से णं इंम लोयं तिरिय करेइ, करित्ता पच्चस्थिमिल्लंसि लोयंतसि सायं सुरिए आगासंसि विद्धंसइ, एगे एवमाइंसु ।२। एगे पुण एवमासु-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सरिए आगासंसि उत्तितुइ, से णं इमं लोयं तिरियं करेइ, करिता पच्चस्थिमिल्लंसि लोयतसि सायं आगासं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता. अहे पडियागच्छइ पडियागच्छित्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सुरिए आगासंसि उत्तिइ, एगे एवमासु ।३। एगे पुण एवमाईस-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढविकायंसि उत्तिटइ, से णं इमं लोय तिरियं करेइ, करित्ता पच्चस्थिमिस्लंसि लोयतंसि सायं सरिए पुढविकार्यसि विद्धंसइ, एगे एवमाहंस 181 एगे पुण एवमाहंसु ता पुरथिमिल्लाओ लोयं ताओ पाओ सरिए पुढविकायंसि उत्तिहइ, से णं इमं लोयं तिरियं करेइ करित्ता पच्च, थिमिळसि लोयंसि सायं मुरिए पुढविकायंसि अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अहे पडियागच्छइ, पडियागच्छित्ता पुणरवि अवरभूपुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सरिए पुदविकायसि उत्तिट्ठइ, एगे एवमाइंसु ।५। एगे पुण एवमाहमु ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सरिए आउकार्यसि उत्तिट्टइ, से णं इमं लोयं तिरियं करेइ, करित्ता पच्चथिमिल्लंसि लोयतंसि सायं सरिए आउकायंसि विद्धंसइ एगे एवमाहंमु १६। एगे पुण एवमाइंसु-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सरिए आउकासि उत्ति, से गं इमं लोयं तिरियं करेइ करिता पर्चात्यमिल्लसि लोयतंति सायं सुरिए आउफायंसि पत्रिसह, पविसित्ता अहे पडियागच्छइ, पडियागच्छित्ता पुणरवि अवरभृपुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सुरिए आउकार्यसि उत्तिइ, एगे एव माहंमु 191 एगे पुण एवमास-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ बहूई जोयणाई, बहूई जोय