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. विपाकयते
निपुणा-चतुरा, तथा युक्तेषु-समुचितेषपचारेषु कुशला, ततः पदद्वयस्य कर्मधारयः । 'सुंदर-थण-जहण-वयण-कर-चरण-नरण-लावण्ण-विलास-कलिया' सुन्दरस्तन जघन-बदन-कर-चरण-नयन-लावण्य-विलासकलिता, मुन्दरस्तनजघनादिनयनान्नेषु लावण्यविलासयुक्तेत्यर्थः; सियज्झया' उच्छ्रितध्वजा-ऊर्चीकृतजयपताका, 'सहस्सलंभा' सहस्रलाभा, सहस्रलाभः-गीतनृत्यादिकलाप्रदर्शनस्य शुल्कं यस्याः सा तथा, 'विदिण्णछत्तचामरवाल्वीयणिया' वितीर्णछत्रचामरवालव्यजनिका-छत्रं च चामरं च वालव्यजनिका वेति द्वन्द्वः, छत्रचामरवालव्यननिकाः, ता वितीर्णाः-भूपेन पारितोपिकतया दत्ता यस्यै सा तथा, 'कण्णीरहप्पयाया वि' निपुण-वक्रोक्ति आदि अलंकारसहित परस्पर संभाषण करने में विशेष विशारद, उचित उपचार करने में बहुत ही कुशल सुंदर-थण-जणवयण-कर-चरण-लावण्ण-विलास-कलिया, सुन्दर अंग-प्रत्यगों से युक्त, रमणीय जंघायों से मनोहर, चंद्रतुल्य सुख से संपन्न, कमल जैसे कर-चरण वाली, तथा लावण्य और विलास ले विशिष्ट, अथवा लावण्य के विलास ले सहि थी, 'ऊसियज्झया जिसके विलासभवन पर सदा विजयपताका फहराती रहती थी, 'सहस्सलंभा' जिसके गीत, नृत्य आदि कलाओं का शुल्क (फीस) सहस्रमुद्राये थीं, 'विदिण्णछत्तचामरवालवीयणिया' राजा की ओर से जिले पारितोषिकरूप में छत्र चामर और वालव्यजन प्रदान किये गये थे, और 'कण्णीरहप्पयायावि' जो कीरथ-प्रवणविशेष में बैठकर गमन करनेवाली थी, ऐसी वह कामध्वजा नामकी वेश्या होत्या. थी। 'कण्णीरहप्पयाया वि' में નવની ચેષ્ટામાં લલતસંલાપનિપુણવોક્તિ આદિ અલંકારસહિત પરસ્પર સંભાષણ
वामा विशेष विशा२६, यत ५२ ४२वामा मर्डर हुश, 'सुन्दर-थण - जहण -बयण -कर -चरण-लावण्ण-विलास-कलिया' मुंह२ मग-प्रत्यगाथा ચુત, રમણીય જંઘાઓથી મનોહર, ચંદ્રતુલ્ય મુખવાળી, કમળ સરખા કર–ચરણ વાળી તથા લાવણ્ય અને વિલાસથી વિશિષ્ટ અથવા લાવણ્યપૂર્ણ વિલાસ સહિત હતી, 'ऊसियज्मया' भने रेना विशामभवन ९५२ तेना नामनी सहाय विrat ३२४ती ती. कवी 'सहस्सलंमा 'रेना oात. नृत्य मा सामानु शु (स) समुद्रास तु. 'विदिण्णछत्तचामरवालवियणिया' रात तथा रणे
नाममात्र, याभ२ मने मायन मेच्या हता, भने 'कण्णीरहप्पयायावि' જે કણરથ-વિશિષ્ટ પ્રકારની સવારીમાં બેસીને પ્રયાણ કરવાવાળી હતી. આ मा शक्ति बनादी ते 'अभया ' नामनी वेश्या होत्या! ती.