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विपाकचन्द्रिका टीका श्रु. १, अ. २, कामध्वजावेश्यावर्णनम्
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भासाविसारया' अष्टादश देशीय भापाविशारदा 'सिंगारागारचारुवेसा' शृङ्गारागारचारुवेपा–शृङ्गारस्य=गृङ्गाररसस्य अगारभित्र = गृहभित्र चारुः = शोभनो वेषो= नेपथ्यं वस्त्रादिरचना यस्याः सा तथा । 'गीय-रह- गंधवणट्ट-कुसला' गीत-रति- गन्धर्व नाट्य- कुशला गीत रतिश्वासौ गन्धर्व नाट्य कुशला चेति समासः । गन्धर्व - नृत्ययुक्तगीतम्, नाटचं तु नृत्यमेव, तत्र कुशला । 'संगय-गय- हसिय-भणियविहिय-विलास-ललिय-सैलाब - निउण-जुनोवयार-कुसला' संगत-गत हसित- भणित-त्रिहित-विलास-ललिन-संलाप निपुण युकोपचार- कुशला-संगतेषु = समुचितेषु गतइसित - भणित-विहित-विलास - ललिनसकापेषु निपुणा, तत्र गतं गमनं गजहंसादिबन्, हसितं - स्मितं भणितं वचनं कोकिलवीणादिस्वरेण च युक्तं, विहितं वेष्टितं, विलासो-नेत्रचेष्टा, ललितसंलापः- वक्रोक्त्याद्यलङ्कारसहितं परस्परं भाषणं, तेषु सोये हुए नव अंग-दो कान, दो नेत्र, दो नाक, एक जीभ, एक चमडी और एक मन चे जिसके जग चुके हैं, अर्थात् जिसकी समस्त इन्द्रियां अपनार विषय ग्रहण करने में बडी निपुण हैं, ऐसी थी । अहारसदेसी भासा विसारया' वह १८ देशों की भाषा जाननेवाली थी. 'सिंगारागारचारुवेसा' शृंगार रस का घर, सुन्दर वस्त्राभूषणों से सज्जित वेषभूषावाली, गीय-रह-गंध-ण-कुसला' विद्या में, रतिविद्या में और गन्धर्व, नाट्यकला (नृत्ययुक्त गीत का नाम गंधर्व, और केवल नाचने का नाम नाट्य ) इनमें कुशल, संगय-गय- हसिय- भणियविहिय-विलास-ललिय-संलाव- निउण-जुत्तोव-यार-कुसला संगत- समुचित गतगज एवं हंस आदि जैसी चाल चलने में हसित-हसने में, भणित कोकिल जैसी वाणी बोलने में, विहित - अनेक प्रकार की मनको लुभाने वाली चेष्टाओं में विलास - नेत्र की चेष्टा में, ललित संलापडती. 'णवंग सुत्तपडिवोडिया' सुतेषां नव अंग - डान, से नेत्र, नाना मे छिद्र, એક જીભ, એક ચામડી અને એક મન, તે જેનામાં જાગી ચૂકેલાં હતાં, અર્થાત્ જેની तभाभ इन्द्रियो घोत—घोताना विषयेो श्रणु श्यामां महुन्न नियुषु डती. 'अट्ठारसदेसीभासाविसारया' ने अठार देशनी लापा लघुनारी हती, 'सिंगारागारचारुवेसा' शृंगाररसनुं घर, सुन्दर पोथीति वेष भूषावाणी, 'गीय-रह-गंधव्य णट्टकुसला' संगीत-विद्यामां रति-विद्यामां ने गंधर्व, नाटयसा (नृत्ययुक्त गीतनुं नाम गंधर्व, ने नाथवानुं नाम नाट्य ) तेभांश, संगय-गय- हसिय-भणियविहिय-विलास-ललिय-संलाव-निउण- जुत्तोवयार कुसला, संगत-समुथित गतश અને `સ આદિ જેવી ચાલ ચાલનારી, હસિત હસવામાં, ભણિત-કેાકિલા જેવી पाणी वामां विद्धित-अने! प्रहारनी भन्ने बोलावे तेवी शोभां विसास