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उत्तराध्ययमसूत्रे नियोजितस्य शिष्यस्य गुरुवचनं प्रति तथेति कृत्वा स्वीकरणम् । यद्वा-अपराधे जाते गुरोः सन्निधावालोचनायां कृतायां सत्यां गुरुयंदादिशति तस्य तथेति कृत्वा स्वीकरणम् प्रतिपत्तव्यम् ॥ ८॥
अभ्युत्थानं नाम नवमी सामाचारी । आचार्य पर्यायज्येष्ठे सांभोगिके वा समुपागते आसनं विहाय साधोरुत्थानम् , यहा-आचार्य वालग्लानादीनां सेवार्थमुद्यमोऽभ्युत्थानम् ९। तथा-उपसम्पन्नाम दशमी सामाचारी। उपसम्पन्नाम ज्ञानादिगुण प्राप्त्यर्थं गणान्तरे गमनम् १०। एषा-उपरिनिर्दिष्टा दशाङ्गा= दशविधा साधूनां सामाचारी प्रवेदिता कथिता । 'छट्टओ' सत्तमो, अट्ठमो' इत्यत्र पुंस्त्वनिर्देश आर्षत्वात् ॥ २॥ ३॥ ४ ॥ किसी कार्य करनेके लिये नियोजित हुए शिष्यका उस कार्यको करनेका 'तथेति' कहकर स्वीकार करना इसका नाम तथाकार है। अथवा किसी अपराधके हो जाने पर गुरुके समीप आलोचना करने पर गुरुके आदेशको "तथेति' कह कर स्वीकार करना इसका नाम भी तथाकार वह आठवी सामाचारी है।८। अभ्युत्थान नामकी नवमी सामाचारी इस प्रकार हैकि आचार्य अथवा दीक्षापर्यायमें ज्येष्ठ साधुजनके आने पर आसनको छोड़कर उनके समक्ष खडे हो जाना। अथवा आचार्य बाल एवं ग्लान आदि साधुजनोंकी सेवाके लिये तत्पर रहना सो भी अभ्युत्थान नामको नवमी सामाचारी है ॥९॥ ज्ञानादिक गुणोंकी प्राप्ति निमित्त दूसरे गणमें जाना इसका नाम उपसंपत् दसवी सामाचारी है ॥१०॥ इन दस सामाचारियोंका पालन मुनिजन करते हैं ॥२-४॥ ___इस तरह संक्षेपसे दशविध समाचारी कहकर अब उसको सूत्रकार
आय ४२वार भाटे "तथेति" डीन स्वी४२ ४२वे। मेनु नाम "तथाकार" छे. અથવા કેઈ અપરાધ થઈ જવાથી ગુરુની પાસે આવેચના કરતી સમયે ગુરુના माहेशन "तथेति” ४डीन स्वी४१२ ४२३। मेनु नाम “तथाकार" सामायारी છે. આ ૮ અભ્યસ્થાન નામની નવમી સામાચારી આ પ્રકારની છે કે, આચાર્ય અથવા દીક્ષા પર્યાયમાં મોટા સાધુજનના આવવાથી આસનને છોડીને એમની સામે ઉભા રહી જવું, અથવા આચાર્ય, બાલ અને ગ્લાન આદિ સાધુજનેની सेवाने भाट तत्५२ २२j से “ अभ्युत्थान" सामायारी छ. ॥६॥ज्ञानाहि शुयानी प्राति निमित्त मानत आभा मेनु नाम "उपसंपतू" सामान्यारी ॥ १० ॥ २॥ ६A सामान्यारीयानु पासन मुनिरन ४२ छ ॥ २-४ ॥ આ પ્રમાણે સંક્ષેપથી દશવિધ સામાચારી કહીને હવે સૂત્રકાર તેને