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प्रियदर्शिनी टीका अ० २६ दशावधसामाचारीवर्णनम् आप्रच्छना भवति । आ-मर्यादया तथाविधविनयलक्षणया, अभिविधिना वा सर्वप्रयोजनाभिव्याप्तिलक्षणेन गुरुं प्रतिपच्छनम् आप्रच्छना ३। चतुर्थी सामाचारी प्रतिपच्छना । गुरुणाऽनुज्ञातोऽपि प्रत्तिकाले पुनरपि गुरुं पृच्छेत् , इति-आप्रच्छनाऽनन्तरं प्रतिप्रच्छना नाम चतुर्थी सामाचारी ४ । छन्दना नाम पञ्चमी सामाचारी। गुरुणा प्रदत्तेन स्वकीया हारादिभागेन कुरु ममानुग्रहं परिभुक्ष्व ममेदमिति रूपेण यथाक्रम साधूनां निमन्त्रणं छन्दना ५ । च-पुनः इच्छाकारो नाम पष्ठिका=षष्ठी सामाचारी, इच्छया बालभियोगमन्तरेण स्वमनसा करणम्-इच्छाकारः ६ । तु-पुनः मिथ्याकारो नाम सप्तमी सामाचारी। कथंचिदतिचारसंभवे मिथ्यावष्कृतदानम् ७ । च=पुनः तथाकारो नाम अष्टमी सामाचारी । गुरुणा कस्मिंश्चित कार्ये कहता है वह दूसरी सामाचारी है ॥ २॥ इस सामाचारीके बाद आपच्छना नामकी सामाचारी सबकार्यके लिये पूछनेरूप-की जाती है। इस सामाचारीमें शिष्य अपने कल्पनीय कार्यके लिये गुरुदेवसे बडे विनयके साथ जो कुछ पूछना होता है वह पूछता है । इसका नाम आप्रच्छना है वह तीसरी सामाचारी है ॥३॥ कार्यकी आज्ञा होने पर भी कार्य करने के समयमें पुनः गुरुसे पूछना इसका नाम प्रतिप्रच्छना सामाचारी है वह चौथी सामाचारी है ॥ ४ ॥ अपने हिस्से के आहार आदिके लिये अन्य साधुओंको यथाक्रम निमंत्रित करना इसका नाम 'छन्दना' सामाचारी है वह पांचमी सामाचारी है ॥५॥ विना प्रेरणाके ही साधर्मीका कार्य करना इसका नाम इच्छाकार है वह छट्ठी सामाचारी है॥६॥ किसी भी तरह अतिचारकी संभावना होने पर : मिच्छामिदुक्कडं' का देना इसका नाम मिथ्याकार है वह सातवी सामाचारी है ॥७॥ गुरुके द्वारा .श्रयमा मा छे त्यारे "नैपेधिकी” मे ४९ छे. ॥ २ ॥ ॥ सामान्यारी પછી આચ્છા નામની સામાચારી સઘળા કાર્યને માટે પૂછવારૂપ કરવામાં આવે છે. આ સામાચારીમાં શિષ્ય પોતાને કલ્પનીય કાર્યને માટે ગુરુદેવને વિનયપૂર્વક ने पूछानु डाय छे ते पूछे छे. मानु नाम " आप्रच्छना" छ. ॥3॥ કાર્યની આજ્ઞા મળવા છતાં પણ કાર્ય કરવાના સમયે ફરીથી ગુરુને પૂછવું તેનું નામ "प्रतिप्रच्छना" सामायारी छ. ॥ ४ ॥ पोताना लागना माहार माना भाट अन्य साधुमान यथाभ निभत्र ४२७ मेनु नाम “छन्दना" સામાચારી છે. પછે પ્રેરણા કરવામાં આવી ન હોય છતાં પણ સાધમીનું
य ४२ मानुं नाम "इच्छाकार' साभा-यारी छ. ॥६॥ २णुस२ मतियारनी समापना यवाथी “ मिच्छामि दुफडं " तु मा५j मेनु नाम "मिथ्याका" સામાચારી છે. Iળા ગુરુએ કેઈ કાર્ય કરવા માટે નિયત કરેલ શિ એ.