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জীবথালি ट्टिया। तयाणतरं चणवहवे दडिणों मुडियोसिहडिणो जडियो पिच्छिणो हासकराडमरुयकरा चाडुकरा वादकरा कदप्पकरा दवर्करा कोकइया किड्डकरा यवायंता यगायंताय हसता य णञ्चताय भासविशेषस्तस्या धारका इत्यर्थ , 'कुतुबग्गाहा' कुनुपग्राहिण-तलाटीना चर्ममय पात्र कुतुपस्त स्य धारका , 'हडप्पयग्गाहा' हडफयाट्रिग -ताम्लाद्विभाजन दृटप्फन्तस्य धारका इत्यय , 'पुरओ अहाणुपुबीए सपट्ठिया' पुरतो यथानुपा मप्रस्थिता । 'तयाणतरं च ण' तदनन्तर च ग्वल 'यह' वहवो 'दडिणो' दण्टिन 'मुडिगो' मुण्डिन 'सिहडिगो' शिखण्डिन' शिलाविशेषारिण जडिगो जटिन =जटावन्त , 'पिच्छिणो' पि िछन =मयू रादिपिच्छवन्त 'हासकरा' हास्यफरा 'डमरुयकरा',टमरुककरा ='डुगडुगी-तिप्रमिया घवादिन , 'चाडुकरा' चाटुकारिंग =प्रियवचनवाटिन , वादकरा' वादकारिण , 'कप्पकरा' कन्दर्पकारिण =कामकथाकारिण, 'दरकरा द्रवकरा =परिहासकारिण 'कोकुइया' कौत किका =कुतूहलकारिण , 'कीडकरा' क्रीडाकरा , 'वायता य' वादयतश्च-मृदङ्गाठिक वग्गाहा) कुतुप अर्थात् चमडे के तेलपान को धारण करने वाले, (हडप्पयग्गाहा) तथा हटप्फ-ताम्बूल पात्र को धारण करने वाले अनुक्रम से आगे २ चग्ने लगे । (तयाणतर च ण) इसके बाद (वहवे) बहुत से (दडिणो) दडी, (मुडियो) मुण्डी, (सिहडिणो) शिखाधारी, (जडिगो) जटाधारी, (पिच्छिणो) मयूर आदि पिच्छ के धारी (हासकरा) हँसाने वाले (डमरुयारा) डुगडुगी यजाने वाले, (चाइकरा) प्रिय वचन बोलने वाले (वादस्रा) वापिस्ट रन गले, (दप्यारा) कामकथा करने वाले, (दक्करा) हेसा मजाक करने वाले, (कोकुदया) उतुहल करने वाले, (किड्डकराय) खेल-तमाशा करने वाले, (वायता य) मृदगाटिक वाजे बजाने वाले,(गायता योगाना गाने वाले, (हसता य) विना कारण
(सामान) या सापाणी, (हड्पेयग्गाहा) तथा १.६ ( सपा)ने धारण ४२वावा यनुभथी. मागण गण न्यासका साया तयाणतर च ण) त्यार पछी (बहवे) मने। (दडियो) (मुटिणो) भुस (सिहडिणो) शिधारी (जडिणो) -(पिणिो ) मयूर माहि पीछाना धारण ४२नारा (हासकरा)
मापनास (विपी) (डमायकरा) हुमी कानारा (चाडुकरा) प्रियवयन मासानास, (वादकरा) वाइविवाह ४२नारा, (कटप्पकरा) डाभ४था नारा, (दपकरा) हासीमा नास, (कोक्कुइया) तुडत ४२नारा, (किडुकरा) मेत तभासा ४२नास, (वायता य) भृ॥ (दास) 401 पाउनास, (गाय)