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प्रमेयबोधिनी टोका पद १७ सू० २२ लेश्यापरिणमननिरूपणम्
पञ्चम उद्देशक मूलम्-कइ णं भंते ! लेस्लाओ पण्णताओ ? गोयमा छलेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्ला, से नूणं भंते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प ता रूवत्ताए ता वन्नत्ताए ता गंधत्ताए ता-रससाए ता फासत्ताए झुज्जो भुजो परिणमइ इत्तो आढतं जहा चउत्थओ उसओ तहा भाणियव्वं जाव वेरुलियमणिदिलुतो त्ति, से नूणं भंते! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ता रूदत्ताए जाव णो ता फासत्ताए भुजो भुजो परिणमइ ? हंता, गोयमा ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ता-रूवत्ताए णो ता चन्नत्ताए जो ता गंधत्ताए णो ता रसत्ताए णो ता फासत्ताए भुजो भुजो परिणमइ, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ कण्ह. लेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ला रूबताए जाच परिणमइ ? गोयमा! अगारभावमायाए वा से सिया पलिभागभावमायाए वा से सिया कण्हलेस्सा-णं सा णो खल्लु नीललेस्ता तत्थ गया ओसकइ उस्सकाइ वा, से तेण?णं-गोयमा ! एवं बुञ्चइ-कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव भुजो भुजो परिणमइ, से नूणं संते.! नीललेस्सा काउलेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-नीललेस्सा काउलेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ ? गोयमा ! आगारभावमायाए वा सिया पलिभागभावमायाए वा लिया नीललेस्ला णं सा णो खलु काउलेस्सा तत्थगया ओसकइ, उस्सकदवा, से एएणटेणं गोयमा ! एवं चुच्चइनोललेस्सा काउलेस्लं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुज्जो परिणमेइ, एवं काउलेस्ला तेउलेस्सा पम्हलेस्सं पम्हलेस्सा सुक्कलेस्सं पप्प, से नणं भंते ! सुक्कलेस्सा पम्हलेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव परिणमइ ? हंता, गोयमा ! सुकलेस्सा तं चेव, से केणटणं भंते ! एवं बुच्चइ-सुकलेस्सा जाव णो परिणमइ ? गोयमा! आगारभावमायाए