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प्रोपनासूत्र यावत् चिल्ललकाः, सर्वा सा बहुबाक्, अथ भदन्त ! मानुपी महिपी वडवा हस्तिनी, सिंही व्याघ्री वृक्की द्वीपिनी ऋक्षी तरक्षी परागरा रासभी गृगाली विडाली शुनकी कोलशुनकी कोकन्तिकी शशकी चित्रकी चिल्ललकी येऽपि चान्ये तथाप्रकाराः सर्वा सा स्त्रीवाक्, अथ भदन्त ! मनुष्यो यावत् चिल्ललको येऽपि चान्ये तथाप्रकाराः सर्का सा पुंवाक् ? इन्त, स्सा जाव चिल्ललगा) अनुष्याः यावत् चिल्ललकाः (लव्शामा बहुवऊ) वह सब बहुवचन हैं?
(अह भंते !) अथ लगवन् ! (मणुल्सी) मानुषी (महिली) महिषी-भैंस (घलवा) वडवा-घोडी (हत्थिणिया) हल्लिनी-हथिनी (सीही) सिंही (वग्घी) व्याघी (विगी) वृकी-भेडिली (दीविया) दीपिनी (अच्छी) (ऋक्षी-रीछनी) (तरच्छी) तरक्षी (परस्लरा) पराशरा (रासभी) (रालभी-गधी) (सियाली) शृगाली-सियारनी) (विराली) (विडाली-शिल्ली) (सुणिया) शुनकी-कुतिया (कोल सुगिया) कोलशुनकी (कोक्कंतिया) कोकन्तिका-लोमडी (सलिया) शशकी-(चित्तिय) चित्रकी-चिती (चिल्ललिया) चिल्ललिका (जे यावन्ने तहप्पगारा) अन्य इसी प्रकार के जो हैं (सव्वासा इत्थिवज) वह सब स्त्री वचन हैं ? (हंता, गोयमा ! मणुस्सी जाव चिल्ललिगाओ जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा इत्थिवउ) हां, गौतम ! मानुषी यावत् चिल्ललिका और अन्य जो इसी प्रकार के हैं, वे सब स्त्रीवचन हैं।
(अह भंते ! मणुस्ले जाव चिल्ललए) हे भगवन् ! मनुष्य यावत् चिल्ललक (जे यावन्ने तहप्पगारा) थावत् इसी प्रकार के जो अन्य हैं (सव्वा सा पुमवऊ) यापत् विसः (सव्वा सा बहुवऊ) ते या मायन छ
(अह भंते ।) अथ 8 मा (मणुस्सी) भानुषी (महिसी) महिषा-सेस (वलवा) १७१८ घडी (हत्थिणिया) यी (सीही) सिंह (बग्घी) पाएy (विगी) टी-१३ स्त्री (दीविया) बीपीनी (अच्छी) २४! (तरच्छी) तरक्षी (परस्सरा) ५२।१२। (रासभी) स्त्री राम गधेही (सियाली) सियाणी (विराली) मसाडी (सुनिया) तरी (कोलसुणिचा) दशुनही (कोक्कंतिया) at aमी (ससिया) शशी (चित्तिया) योती (चिल्ललिया) [Asleel (जे यावन्ने तहप्पगारा) मीत मे तन छ (सव्वा सा इत्थिवऊ) ते मया स्त्री क्यन छ ? (हंता गोयमा ! मणुस्सी जाव चिल्ललिगाओ जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा इथिवऊ) । गौतम ! भानुषी यावत् सिसि भने अन्य २ सय ४२॥ , ते બધા સ્ત્રી વચન છે.
(अह भंते ! मणुस्से जाव चिल्ललए) भगवन् ! मनुष्य यावत् यि (जे यावन्ने तहप्पगारा) थे नारे भन्य छ (सव्वा सा पुमवऊ) ते मया पु३५ क्यन छ १ (हंता