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प्रमैयबोधिनी टीका पद ११ ० ४ वचनविशेपनिरूपणम्
२७५ . 'छाया-अथ भदन्त ! मनुष्यो, महिषः, अश्वः, हस्ती, सिंहः, व्याघ्रः, वृकः, द्वीपी, ऋक्षः, तरक्षः, पराशरः, रासभः शणाल:, विडाल:, शुनकः, कोलशुनकः, कोकन्तिकः, शशकः, चित्रका, चिल्ललकः, येऽपि चान्ये तथाप्रकाराः, सर्वा सा एकवाक ? हन्त, गौतम ! मनुष्यो यावत् चिल्ललको येऽपि चान्ये तथाप्रकाराः सवा सा एकवाक्, अथ भदन्त ! मनुष्याः यावत् चिल्लल का येऽपि चान्ये तथाप्रकारकाः सर्वा सा बहुवाक् ? हन्त, गौतम ! मनुष्या
वचनविशेष की बरू व्यता। __ शब्दार्थ-(अह) अथ (संते) भगवन् ! (मणुस्ते) मनुष्यः-मनुष्य (महिसे) महिषा-भैसा (आसे) अश्व:-अश्व (हत्थी) हस्तो-हाथी (लोहे) सिंहासिंह (वग्धे) व्याघा-वाघ (विगे) वृक्षा-भेडिया (दीविए) द्वीपी-छीपक (अच्छे) ऋक्षा-रीछ (तरच्छे) तरक्षा-तरक्ष (परस्सरे) शरः-डा (रासभे) रासभा-गधा (सियाले) शृगालः-सिधार विराले (विडालः-विलाव) सुणए (शुनकः-कुत्ता) (कोलसुणए) कोलशुनका-शिकारी कुत्ता (कोक्कंतिए) कोकन्तिकी-लोमडी (ससए) शशका-खरगोश (चित्तए) चित्रका-चित्ता (चिल्ललए) चिल्ललक:जंगली जन्तुविशेष (जे यावन्ने तहप्पगारा) इसी प्रकार के जो अन्य हैं (सव्वा) सब (सा) वह (एगवऊ ?) एक वचन हैं ? (हंता) हां (गोयमा) हे गौतम ! (मणुस्से जाब चिल्ललए जे यावन्ने तहप्पणारा सवा सा एगवऊ) मनुष्यः यावत् चिल्ललका तथा इसी प्रकार के जो अन्य है, वह सब एकवचन हैं। __(अह) अथ (भंते) भगवन् ! (अणुस्ता) मनुष्याः -बहुत मनुष्य (जाव) यावत् (चिल्ललगा) चिल्ललकाः (जे सावन्ने तहप्पगारा) जो इसी प्रकार के अन्य हैं (सव्वा सा बहुवऊ) वह सब बहुवचन हैं ? (हंता गोयसा!) हां, गौतम ! (मणु
વચન વિશેષની વકnયતા शहाथ-(अह) मथ (भंते ।) 3 सावन् ! (मणुरसे) मनुष्य (महिसे)= (आसे) सव (हत्थी) हाथी (सीहे) (संह (वग्घे) वाघ विगे (वृकः १३) (दीविए) दीपी (अच्छे) २७ (तरच्छे) त२२ (परस्सरे पराशर.)-में। (रासभे) TEM (सियाले) शियाण (विराले) मिसा (सुणए-शुनक) तरे। (कोलसुणए-कोलशुनकः) शिरी पुत। (कोक्कतिए) बमडी (ससर-शशक) शशशु (चित्तए-चित्रक) यीत्ते (चिल्ललए) गली तुविशेष (जे यावन्ने तहप्पगारा) मे नारे भी छे (सना) मधा (सा) ते (एगवऊ ?) मे क्यन छ ? (हंता) । (गोयमा ) गौतम ! (मणुस्से जाव चिल्ललए जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वा सा एग वऊ भनुष्य: यावत् चिल्लल कः तथा से प्र४।२नारे गन्य छ, ते मया से क्यन छ
(अह) मथ (भंते ।) भगवन् (मणुस्सा मनुष्या') ध। मनुष्य (जाव) यावत् (चिल्ललगा) विल्ससी (जे यावन्ने तहापगारा) २ मे २ना मीत छे (सव्वा सा बहु पऊ) ते या गायन छ ? (हंता गोयमा !) गीतम! (मणुस्सा जाव चिल्लगा) मनुष्यो: