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________________ प्रज्ञापनासूत्रे प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! जघन्येन एक समयम्, उत्कृष्टेन पङ्मासान, अजुनकुमाराः खलु भदन्त ! कियन्तं कालं विरहिता उपपातेन प्रज्ञताः ? गौतम ! जघन्येन एकं समयम्, उत्कृप्टेन चतविंशति मुहूर्तान् नागकुमाराः खलु भवन्त ! क्रियन्तं कालं विरहिता उपपातेन प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! जघन्येन एक समयम्, उत्कृप्टेन चर्विशति मुहूर्तान, एवं मुवर्णकुमाराणाम् , विद्युन्छुमाराणाम् , अग्निकुमाराणाम् , द्वीपकुमाराणाम्, दिक्कुमाराणाम्, उदधिकुमाराणाम्, वायुकुमाराणाम्, स्तनितकुमाराणाम्। प्रत्येकं जयन्येन एक समयम्, उत्कृप्टेन चतुर्विंशति मुहूर्वान् , पृथिवीकायिकाः खलु भदन्त ! कियन्नं कालं विरहिता उपपातेन प्रज्ञप्ताः ? कहे हैं ? (गोयमा ! जहण्णेणं पगं ललयं उनकोलेणं छम्मासा) हे गौतम ! जघन्य एक समय तक एवं उत्कृष्ट छह माह तक (असुरकुमारा णं भंते ! केवड्वं काल विरहिया उवचारणं पण्णता?) हे भगवन् ! असुरकुमार कितने काल तक उपपात से रहित कहे गए हैं ? (गोयमा ! जहणेणं एग लमय उस्कोरणं बउवीसं मुहुत्ता) हे गौतम ! जघन्य एक समय तक, उत्कृष्ट चौवील मुहर्त तक (एवं) इसी प्रकार (सुवणअमाराण) सुपर्णकुमारों का (विज्जुकुमाराण) विद्युत्कुमारों का (अग्गिअनाराणं) अग्निकुमारों का (दीवकुमाराणं) दीपकुमारों का (दिसासारागं) दिशा ऋमारों का (उदहि कुमाराणं) उद्धिकुमारों का (बाउछुमाराणं) वायुकुमारों का (थणियकुमाराणं) स्तनितकुमारों का (पत्तेय) प्रत्येक का (जहाणेण पगं समयं) जघन्य एक समय (उकोलेणं चउच्चील मुहुत्ता) उत्कृष्ट चौवीस मुहुत उपपात विरह कहना पातथी २हित ४ा छ ? (गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं उनोसेणं छम्मासा) ગૌતમ! જઘન્ય એક સમય, ઉત્કૃષ્ટ છ માસ સુધી (असुरकुमाराणं भंते ! केवइयं कालं विरहिया उयबाएणं पण्णता ?) अलगवन् ! म भार ४८४ा सुधी पातयी २हित सा छ ? (गोयमा ! जहणेण एग समय; उकोसेणं चउव्वीसं मुहुत्ता) गौतम ! धन्य से समय are यावीस मुद्दत सुधी (एवं) में मारे (सुवण्ण कुमाराण) सुवर्णभाराना (विज्जुकुमाराणं) विद्युतमाशेना (अग्गिकुमाराणं) मनिभाना (दीवकुमाराण) ६५४भाशना (दिसाकुमाराण) दिशा माना (उदहिकुमाराणं) धिभाराना (वाउकुमाराणं) वायुभाशना (थणियकुमाराणं) निभाशना (पत्तेय) प्रत्येना (जपणेणं एगं समय) वन्य ४ समय (उकोसेण चवीसं मुहुत्ता) कृष्ट વીસ મુહૂર્ત ઉપપાત રહિત કહેવા
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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