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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ५ सू १० पञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पर्यायाः तुल्यः, प्रदेशार्थतया तुल्यः, अवगाहनार्थतया चतुः स्थानपतितः, स्थित्या त्रिस्थानपतितः, वर्णगन्धरसस्पर्शपर्यवैः आभिनिवोधिकज्ञानश्रुतज्ञानपर्यवैः पट्स्थानपतितः अवधिज्ञानपयवस्तुल्यः, अज्ञानानि न सन्ति, चक्षुदर्शनपर्यवः अचक्षुर्दर्शनपर्यवैश्च अवधिदर्शनपर्यवैः षट्स्थानपतितः, एवमुत्कृष्टावधिज्ञानी अपि, अजघन्यानुत्कृष्टावधिज्ञानी अपि एवञ्चव, नवरं स्वस्थाने पट्स्थानपतितः, यथा आभिनिवोधिकज्ञानी तथा मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी च, यथा (दवट्याए तुल्ले) द्रव्य की अपेक्षा तुल्य (पएमट्टयाए तुल्ले) प्रदेशों की अपेक्षा तुल्य (ओगाहणट्टयाए चउठाणवडिए) अवगाहना से चतुःस्थानपतित (ठिईए तिट्ठाणबडिए) स्थिति से त्रिस्थानपतित (वण्णगंधरसफासपज्जवेहिं) वर्ण, गंध, रस, स्पर्श के पर्यायों से (आभिणियोहियनाणसुयणाणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिए) प्रतिज्ञान श्रुतज्ञान के पर्यायो से षट्स्थानपतित (ओहिनाणपज्जवेहिं तुल्ले) अवधिज्ञान के पर्यायों से तुल्य (अन्नाणा नत्थि) अज्ञान उसमें नहीं होते । (चक्खुदंसणपज्जवेहिं अचक्खुदंसणपज्जवेहि य) चक्षुदर्शन के पर्यायों और अचक्षुदर्शन के पर्यायों से (ओहिदसणपज्जवेहि) अवधिदर्शन के पर्यायों से (छट्ठाणवडिए) षट्स्थानपतित (एवं उक्कोसो हिनाणी वि) इसी प्रकार उत्कृष्ट अवधिज्ञानी भी (अजहण्णमणुक्कोसोहिनाणी वि एवं चेव) मध्यम अवधिज्ञानी भी इसी प्रकार (णवरं) विशेष (सहाणे छहाणवडिए) स्वस्थान में षट्स्थानपतित है। ___ (जहा अभिणियोहियनाणी तहा मई अण्णाणी सुय अण्णाणी) द्र०यनी अपेक्षाये तुक्ष्य (पएसट्रयाए तुल्ले) प्रशानी अपेक्षा तुझ्य (ओगाह णट्ठयाए चढाण वडिए) Aqानाथी यतु:स्थान पतित (ठिहरा तिट्ठाण वडिर) (स्थतिनी त्रिस्थान पतित (वण्ण गंध रस फास पज्ज वेहि) व 14-२२-२५श ना पयायाथी (आभिणिवोहियनाण सुयणाणपज्जवेहिं छट्ठाणवडिप) मतिनान, श्रुतज्ञानना पर्यायाथी षट्स्थान पतित (ओहिणाणपज्जवेहिं नुल्ले) भवधि जानना पायाथी तुझ्य (अन्नाणा नत्थि) मिजात तने नथी हातु (चमबुदसण पज्जवेहिं अचक्खुदसणपज्जवेहिं य) यक्षुशनना पर्याय मने अयक्षुशनना पायथा (ओहिंदसणपज्जवेहि) सवधिज्ञानना पर्यायाथी (छट्टाणवडिए) ५८२थान पतित (एवं उनोसोहिनाणी वि) ये शते कृष्ट अधिनानी पर (अहण्णमणुकोसोहिनाणी वि एवं चेव) मध्यम अवधिनानी ५५ ये रे (णवरं) विशेष (सटाणे छद्राणवडिप) स्वस्थानमा पटक्यान पतित छ । (जहा आभिणियोहियनाणी तहा मइ अण्णाणी सुय अण्णाणी) की
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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