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________________ ४८ 'प्रोपनास्त्रे छाया-एतेषां खलु भदन्त ! नैरयिकाणाम् तिर्यग्योनिकानाम् मनुष्याणां देवानां सिद्धानाञ्च पञ्चानां गत्यनुपातेन समासेन कतरे कतरेभ्यः अल्पावा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः मनुष्याः नैरयिका असंख्येयगुणाः, देवाः असंख्येयगुणाः, सिद्धाः अनन्तगुणाः, तिर्यग्योनिकाः अनन्तगुणाः, एतेपां खलु भदन्त ! नैरयिकाणाम् तिर्यग्योनिकानाम् स्साणं देवाणं सिद्धाण य) हे भगवन् ! इन नारकों, तिर्यचों, मनुष्यों देवों और सिद्धों की (पंचगति अणुवाएणं) पांच गतिओं की अपेक्षा से (समासेणं) संक्षेप से (कयरे कयरेहिंतो) कौन किमसे (अप्पा वा) अल्प है (बहुया वा) या बहुत है (तुल्ला वा) या तुल्य है (विसेसाहिया वा) या विशेषाधिक है ? (गोयमा) हे गौतम ! (मव्वत्थोवा) सय से कम (मणुस्सा) मनुष्य हैं (नेरड्या असंखेज्ज गुणा) नैरयिक असंख्यातगुणा हैं (सिद्धा) सिद्ध (अणंलगुणा) अनन्तगुणा हैं (तिरिग्वजोणिया अणंतगुणा) तिर्यच अनन्त गुणा हैं । (एएसिणं भंते ! नेरइयाणं तिरिक्खजोणियाणं, तिरिक्खजोणिणीणं, मणुस्साणं, मणुस्सीणं, देवाणं देवीणं सिद्धाण य) हे भगवन् ! इन नारकों, तियेचों, तिर्यचनियों, मनुष्यों, मनुष्यनिकों, देवों, देवियों और सिद्धों की (अट्ठगति अणुवीएणं) आठ गतियों की अपेक्षा से (समासेणं) संक्षेप से (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा) अल्प है (बहुया वा) या बहुत है (तुल्ला वा) या तुल्य है (विसेसासिद्धाण य) हे भगवन् । २मा नाछी, तिय या, मनुष्यो, हे। मनसताना (पंचगति अणुवाणं) पाय गतियानी अपेक्षा (समासेणं) सपथी (कयरे कयरेहितो) अनाथी (अप्पा वा) २६५ छे (बहुया वा) मगर ए॥ छ (तुल्ला वा) २२ तुक्ष्य छ (विसेसाहिया वा) २५५२ विशेषाधि छे ? (गोयमा उ गौतम (सव्वत्थोवा) याथी छ। (मणुस्सा) मनुष्य छ (नेरइया असंखेज्ज गुणा) नैयि४ २५सया शुशित छ (देवा) हेव (अमंखेज्ज गुणा) असभ्यात गुणा छ (सिद्धा) सिद्ध (अणंतगुणा) मनन्त गुए। छ (तिरिक्ख जोणिया अनन्त गुणा) तिय य अनन्त गुण छ (एसिणं भंते नेरइयाणं निरिक्खजोणियाण, तिरिक्खजोणिणीणं, मणुस्साणं, मगुस्सीणं, देवाणं, देवीणं, सिद्धाणं य) मापन् । म ना२, तिय था, तिय नियो, भनुप्यो, मनुष्य नियो, हेवा, क्यिो, मने सिद्धोनी (अगति अणुवाएणं) मा तियानी अपेक्षाये (समासेणं) स क्षेपथी (कयरे कयरेहितो) नाथी (अप्पा वा) २६५ (बहुया वा) २२ पधारे छे (तुल्ला वा)
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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