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प्रमैयबोधिनी टीका पद ४ सू.०८ ज्योतिप्कदेवानां स्थितिनिरूपणम् ५०७ नापि अन्तर्मुहूर्तम्, पर्याप्तकानां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन पल्योपमाष्टभागम् अन्तर्मुहान, उत्कृष्टेन चतुर्भागपल्योपमम् अन्तर्मुहानम्, ताराविमाने देवीनां पृच्छा, गौतम ! जवन्येन पल्योपमाष्टभागम्, उत्कृष्टेन सातिरेकम् अष्टभागपल्योपमम्, ताराविमाणे अपर्याप्तिकानां देवीनां पृच्छा, गौतम ! जघन्येनापि उत्कृष्टेउत्कृष्ट पल्योपभ का चौथाई भाग (अपज्जत्तयाणं पुच्छा ?) अपर्याप्तक देवों की स्थिति कितनी ? (गोथमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत) जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्याप्तक देवों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहप्रणेणं पलिओवमट्ठभागं अंतोमुत्तूणं, उक्कोलेणं चउभागपलिओवमं अंतोमुत्तूर्ण) हे गौतम ! जघन्य अन्तमुहर्त कम पल्योपम का आठवां भाग, उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पल्योपम का चौथाई भाग।
(तारादिसाणे देवीणं पुच्छा ?) तारा विमान में देवियों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमहभागं उक्कोखेणं साइरेगं अट्ठभाग पलिओवर्म) हे गौतम ! जघन्य पल्योपम का आठवां भाग, उत्कृष्ट पल्योपम के आठवें भाग से कुछ अधिक (तारा विमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा ?) तारा विमान में अपर्याप्तक देवियों की स्थिति कितनी ? (गोयमा ! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्त) हे गौतम ! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त (पज्जत्ति
(ताराविमाणे देवाणं पुच्छा ?) ता॥ विमानमा हेवानी स्थिति की ? (गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठभाग पलिओवम, उकोसेणं चउभाग पलिओवम) गौतम!
धन्य पक्ष्या५मना मामे। ला, कृष्ट पक्ष्योभना या मा (अपज्जस्तयाणं पुच्छा ?) अपर्यास हेवानी स्थिति की ? (गोयमा । जहण्णेणं वि उकोसेणं वि अंतोमुहुत्तं) गौतम धन्य ५ मन कृष्ट ५ अन्तत (पज्जत्तयाणं पुच्छा ?) पर्यात हेवानी स्थिति क्षी ? (गोयमा! जहण्णेणं पलिओवमड्ढभागं अंतोमुहुत्तणं, उक्कोसेणं चउभागपलिओवम अंतोमुहुत्तणं) गौतम | धन्य અન્તર્મુહૂર્ત ઓછા પપમને આઠમે ભાગ, ઉત્કૃષ્ટ અન્તમુહૂર્ત ઓછા પપમને ચે ભાગ __(ताराविमाणे देवीणं पुच्छा ?) । विमानमा क्यिानी स्थिति सी ? (गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठभागपलिओवम उक्कोसेणं साइरेगं अट्ठभाग पलिओवमं) ગૌતમ! જઘન્ય પલ્યોપમને આઠમો ભાગ, ઉત્કૃષ્ટ પપમના આઠમા ભાગથી ४is४ मधि: (तारा विमाणे अपज्जत्तियाणं देवीणं पुच्छा ?) । विमानमा अपर्यास हेवियानी स्थिति सी ? (गोयमा जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतो