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प्रबोधिनी टीका पद ३ सू. ३१ परमाणुपुद्गलानामश्वत्वप्
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एकगुणकालकानाम्, संख्येयगुण कालकानाम्, असंख्येय गुणकालकानाम्, अनन्त'गुणकालकानाञ्च पुद्गलानां द्रव्यार्थतया प्रदेशार्थतया द्रव्यार्थ प्रदेशार्थतया च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! यथा पुद्गलास्तथा भणितव्याः, एवं संख्येयगुणकालका अपि, एवं असंख्येय
ख्यात समय की स्थिति वाले पुद्गल द्रव्य से असंख्यातगुणा हैं ( ते चे पसाए असंखिज्जगुणा ) वे ही प्रदेशों से असंख्यातगुणा है ।
(एएसि णं भंते!) हे भगवन् ! इन ( एगगुणकालगाणं) एक गुण काले ( संखिज्जगुणकालगाणं) संख्यातगुण काले (असंखिज्जगुणकालगाणं) असंख्यातगुण काले ( अनंतगुण कालगाण य) और अनन्त गुणकाले ( पुग्गलाण) पुद्गलों में (दच्चट्टयाए) द्रव्य से ( पट्टयाए) प्रदेशों से (ogy सहयाए य) द्रव्य एवं प्रदेशों से ( कयरे कमरेहिंतो ) कौन किस से (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोमा !) हे गौतम ! (जहा पुग्ला तहा भाणियच्चा) जैसे पुद्गल कहे वैसा ही कहना चाहिए ( एवं ) इसी प्रकार (संखिज्जगुणकालगाण वि) संख्यात गुण काले भी (एवं असंखेज्जगुणकालगाण वि) इसी प्रकार असंख्यात गुण काले भी ( एवं सेसा वि) इसी प्रकार शेप भी (वण्णा) वर्ण (गंधा) गंध (रसा) रस (फासा) स्पर्श (भाणियव्वा ) कहने चाहिए (फासानं ) स्थितिवाणा युगल द्रव्यथी असभ्याता छे. (ते चेत्र परसट्टयाए असंखिज्जगुणा ) ४ प्रदेशोथी असभ्याता है.
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(एए सिणं भंते ।) हे लगवन् भा ( एगगुणकाल गाणं) मे शुशु मा (संखिज्जगुणकालगाणं) संध्यात गुथु अमा (असंखिज्जगुणकालगाणं) अस ज्यात गुणा (अनंतगुणकालगाण य) मते अनंत गुणु अजा ( पुगलाण ) युगसेोमां (gpagaio) goual (qgugam) utdıal (gaa5qragam) gou ma ukânal ( कयरे करेहिंतो) आशु अनाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेस । हिया वा) અલ્પ, વધારે, તુલ્ય અથવા વિશેષાધિક છે ?
( गोयमा ! ) गौतम । ( जहा पुग्गला तहा भाणियव्वा ) प्रेम पुग उद्या छेतेन वा लेड शो. (एवं) मे प्रभा (मंखिज्जगुणकालगाणं वि) संख्यातगुणु राजा युगल पशु ( एवं असंखे लगुणकालगाण वि) से ४ प्रभाषे असण्यात गुथुणा पशु ( एवं सेस वि) ४ ना संगंधभां पशु सभवु (वण्णा) वर्षा (गंवा) गंध
प्रमाणे गाडीना युगो ।
(रस) २५ ( फासाणं)