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प्रमैयबोधिनी टीका पद ३ सू.३८ पुद्गलद्वारानुसारेणाल्पबहुत्वम् ___२७१ तुल्याः असंख्येयगुणाः, दक्षिणपौरस्त्येन उत्तरपश्चिमेन च येऽपि विशेपाधिकाः, पौरस्त्येन असंख्येयगुणाः, पश्चियेन विशेषाधिकाः, दक्षिणेन विशेपाधिकाः, उत्तरेण विशेषाधिकाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकानि द्रव्यानि त्रैलोक्ये, अवलोकतिर्यग्लोके अनन्तगुणानि, अधोलोकतिर्यग्लोके विशेषाधिकानि, अलोके असंख्येयगुणानि, अधोलोके अनन्त गुणानि, तिर्यग्लोके संख्येयगुणानि, दिगनुपातेन सर्वस्तोकानि द्रव्याणि अधोदिशि, ऊर्ध्वदिशि अनन्तगुणानि, उत्तरपौरत्थिमेण य दो वितुल्ला विसेसाहिया) दक्षिणपूर्व और उत्तरपश्चिम दोनों में तुल्य हैं और विशेपाधिक है (पुरच्छिमेणं असंखिजगुणा) पूर्व में असंख्यातगुणा हैं (पच्चत्थिमेणं विलेलाहिया) पश्चिम में विशेषाधिक हैं (दाहिणेणं विसेलाहिया) दक्षिण में विशेषाधिक हैं (उत्तरेणं विसेसाहिया) उत्तर में विशेषाधिक है। __ (खेत्ताणुवाएण) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोवाइं दवाई तेलोके) सब से कम द्रव्य त्रिलोक में हैं (उडलोयलिरियलोए अणंतगुणाई) अवलोक-तिर्यग्लोक में अनन्तगुणा हैं (अहोलोयतिरियलोए विसेसाहियाई) अधोलोक-तिर्यग्लोक में विशेषाधिक हैं (उडलोए असंखिज्जगुणाई) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोए अणंतगुणाई) अधोलोक में अनन्तगुणा हैं (तिरियलोए संखिज्जगुणाई) तिर्यग्लोक में संख्यातगुणा हैं।
(दिसाणुवाएण) दिशा के अनुसार (सव्वत्थोवाई दवाइं अहोदिसाए) सय से कम द्रव्य अधोदिशा में हैं (उदिसाए अणंतगुणाई) साहिया) दक्षिण पूर्व मन उत्तर पश्चिम ये पन्नेमा तुक्ष्य छ, भने विशेपाधि छे. (पुरस्थिमेणं असंखिज्जगुणा) पूमा सयात छ. (पच्चस्थि मेणं विसेसाहिया) पश्चिममा विशेषाधि४ छ. (दाहिणेण विसेसाहिया) क्षमा विशेषाधि४ छ. (उत्तरेणं विसेसाहिया) उत्तरमा विशेषाधि छे.
(खेत्ताणुवाएण) क्षेत्रना २५नुसा२ (सव्वत्थोवाइं दव्याइं तेलोक्के) शौथी साधु द्रव्य निसाम छ. (उड्ढलोयतिरियलोए अणंतगुणाई) प तिय
म मन त म छ. (अहोलोए तिरियलोग विसेसाहियाई) गोटा तय सभा विशेषाधि४ छ. (उड्ढलोए असंखेजगुणाई) मा असभ्यात गए। छे. (अहोलोए अणंतगुणाई) मधासामा गमतग छे. (तिरियलोए सखिज्जगुणाई) तिय सोम सात गा छे.
(दिसाणुवाएणं) शिाना अनुसार (सव्वत्थोवाई अहोदिसाग) सौथी गाई द्रय मधेशिाम छ. (उड्ढदिसाए अगतगुणाई) दिशामा मनताले