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प्रोधित टोका पद ३ सु. ३६ क्षेत्रानुसारेण
कायिकानामवहुत्वम् ३५५ ज्जगुंगा, उडूलोए संखेज्जगुणा, अहोलोए संखेज्जगुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, खेत्तानुवाणं सव्वत्थोवा अपज्जत्तया तेलोक्के, उडलोयतिरियलोए, असंखेज्जगुणा, अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा, उड्डलोए संखेज्जगुणा, अहोलोए संखेज्ज - गुणा, तिरियलोए असंखेज्जगुणा, खेसाणुशरणं सव्वत्थोवा तसकाइया पज्ञत्तया तेलोक्के, उडलोयतिरियलोए, असंखेज्ज - गुणा, अहोलोयतिरियलोए संखेजगुणा, उडलोप संखेज्जगुणा, अहोलोए संखेजगुणा, तिरियलोए असंखेनगुणा ॥ सू० ३६ ॥
छाया - क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकाः साधिकाखैलोक्ये, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, अत्रोलोकतिर्थग्लोके संख्येयगुणाः, ऊर्ध्वलोके संख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकाः त्रसकायिकाः अपर्याप्तकाखैलोक्ये, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, कायिकों का अल्पबहुत्व
शब्दार्थ - (खेत्ताणुवाणं) क्षेत्र के अनुसार ( सच्वत्थोवा तसकाकाइया तेलोक्के) सबसे कम सकाधिक त्रिलोक में हैं ( उडलोयतियलोए असंखिजगुणा ) ऊर्ध्वलोक- तिर्थ ग्लोक में असंख्यातगुणा हैं ( अहोलोयतिरियलोए संखिज्जगुणा ) अधोलोक - तिर्थ ग्लोक में संख्यात गुणा हैं (उड़लोए संखिजगुणा ) ऊर्ध्वलोक में संख्यातगुणा हैं (अहो - लोए संखिज्जगुणा ) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं ( तिरियलोए असंखिज्जगुणा) तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं ।
(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सन्वत्थोवा तसकाइया अपजन्तया) सब से कम अपर्याप्त कायिक (तेलोक्के) त्रैलोक्य में हैं ત્રસકાયિકાનું અલ્પમહત્વ
शब्दार्थ - (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रना अनुसार (सव्वत्थोवा तसकाइया तेलोक्के) त्रिसभां सौथी गोछा सायि। छे (उड्ढलोय तिरियलोए असंखिज्जगुणा ) अर्ध्वयो४-तिर्यग्योउभा असण्यातगा छे. (अहोलोय - तिरियलोए संखिज्जगुणा ) अधोलो तिर्यञ्याङमां सख्यातगा छे. ( उड्ढलोए संखिज्जगुणा) र्ध्वसे। भां सभ्यातगा छे. (अहोलोए संखिज्जगुणा ) अधोसो मां सभ्यातगया है. (तिरियलोए असंखिज्जगुणा) तियोभा असण्यातगा है.
(खेत्ताणुत्राणं) क्षेत्रना अनुभ२ (सव्वत्थोवा तसकाइया अपज्जत्तया)