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________________ १६ प्रज्ञापनासूत्रे दक्षिणेन असंख्येयगुणाः, दक्षिणेभ्यस्तमायाः पृथिव्या नैरयिकेभ्य पञ्चम्याः धूमप्रभायाः पृथिव्याः नैरयिका : पौरस्त्यपश्चिमोत्तरेण असंख्येयगुणाः, दक्षि णेन असंख्येयगुणाः, दाक्षिणात्येभ्यो धूमप्रभा पृथिवी नै रयिकेभ्य चतुर्थ्याः पङ्कप्रभायाः पृथिव्याः नैरयिका | पौरस्त्यपश्चिमोत्तरेण असंख्येयगुणाः, दक्षिणेन असंख्येयगुणाः, दाक्षिणात्येभ्यः पङ्कप्रभापृथिवीनैरयिकेभ्य स्तृतीयायाः बालुकाप्रभायाः पृथिव्याः नैरयिकाः पौरस्त्यपश्चिमोत्तरेण असंख्येयगुणाः दक्षिणेन पृथ्वी के (नेहा) नैरयिक (पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं) पूर्व, पश्चिम उत्तर में (असंखेज्जगुणा) असंख्यात गुणा हैं (दाहिणेणं असंखेजगुणा) दक्षिण में उनसे भी असंख्यात गुणा हैं (दाहिणिल्लेहिंतो तमाए पुढवीनेरइएहितो) दक्षिण दिशा के तमःप्रभा पृथ्वी के नारकों की अपेक्षा (पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए) पांचवीं धूमप्रभा पृथिवी के (नेरइया) नारक ( पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं) पूर्व, पश्चिम उत्तर में (असंखेज्जगुणा) असंख्यात गुणा हैं (दाहिणेणं असंखेनगुणा) दक्षिण में असंख्यात गुणा है (दाहिणिल्लेहिंतो धूमप्पभा पुढवीनेरइए हिंतो ) दक्षिण के धूमप्रभा पृथिवी के नारकों से (चउत्थीए पंकप्पा पुढवीए) चौथी पंकप्रभा पृथिवी के (नेरइया) नारक ( पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं असंखे जगुणा) पूर्व, पश्चिम, उत्तर में असंख्यात गुणा हैं (दाहिणं असंखे जगुगा) दक्षिण में उससे भी असंख्यात गुणा हैं (दाहिणिल्लेर्हितो पंकष्पभा पुढवीनेरइए हितो) दक्षिण के पंकप्रभा पृथिवी के नारकों से (तइयाए वालुयप्पभाए पुढबीए) तीसरी वालु पृथ्वीना नारथी (छट्टाए) छुट्टी (तमाए पुढवीए) तभ अला पृथ्वीना (नेरइया) नैरयि । ( पुरच्छिमपच्चत्थिम उत्तरेणं) पूर्व, पश्चिम, उत्तरमा (असंखेज्ज गुणा ) अस ंख्यात गुणा छे (दाहिणिल्लेहिंतो तमाए पुढवी नेरइएहिंतो ) क्षिणु हिशाना तमःप्रला पृथ्वीना नारनी अपेक्षा (पंचमाए धूमप्पभा पुढवीए) यांयभी धूभयला पृथ्वीना (नेरइया) ना२४ ( पुरच्छिमपच्चत्थिम उत्तरेणं) पूर्व, पश्चिम उत्तरभां (असंखेज्जगुणा ) असंख्यात गुणा छे (ढाहिणेणं असंखेज्जगुणा ) थक्षिणुभां असंख्यात छे ( वाहिणिल्लेर्हितो धूमप्पभा पुढवी नेरइए हिंतो ) दक्षिणुना धूमला पृथ्वीना नारथी (चउथीए पकप्पभाए पुढवीए) थोथी पला पृथ्वीना (तेरइया) ना२५ ( पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं असंखेज्ज गुणा ) पूर्व, पश्चिम, उत्तरसां असण्यात गुणा छे (दाहिणेणं असंखेज्जगुणा) दक्षिणुभा तेनाथी पशु अस ंख्यात गुणा छे (दाहिणिल्लेहिंतो पंकप्पभा पुढवी नेरइएहिंतो ) दक्षिणुना पला पृथ्वीना नारथी (तइयाए वालुयप्पभाए पुढवीए) त्रील
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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