SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 288
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २७० प्रहापनास्त्रे स्तोकाः देवाः ऊर्धलोके, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये संख्येयगुणाः, अधोलोक तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः,तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वम्तोका देव्यः ऊर्ध्वलोके ऊलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये संख्येयगुणाः, अधोलोकतिर्यग्लोक संख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः ॥३०॥ संखेज्जगुणाओ) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणी हैं। (खेत्ताणुवाएण) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोबा देवा उडुलोए) सबसे कम देव ऊर्ध्वलोक में हैं (उडलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणा हैं (तेलोक्के संखेज्जगुणा) त्रैलोक्य में संख्यातगुणा हैं (अहोलोय तिरियलोए संखेज्जगुणा) अधोलोक-तिर्थक्लोक में संख्यातगुणा हैं (अहोलोए संखेज्जगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं (तिरियलोए संखेज्जगुणा) तिर्छलोक में संख्यातगुणा हैं। (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र की अपेक्षा से (सव्वत्थोवाओ देवीओ) सब से कम देवियां (उडलोए) ऊर्ध्वलोक में हैं (उद्दलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणाओ) ऊर्ध्वलोक-तिर्थक्लोक में असं. ख्यातगुणी हैं (तेलोक्के संखेज्जगुणाओ) त्रैलोक्य में संख्यातगुणी हैं (अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणाओ) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणी हैं (अहोलोए संखेज्जगुणाओ) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं (तिरियलोए संखेज्जगुणाओ) तिर्यवलोक में संख्यात गुणी हैं। । जगुणाओ) तिय ४मा सध्यातराणी छ. (खेत्ताणुवाएग) क्षेत्रना अनुसार (सव्वत्थोवा देवा उड्ढलोए) माथी छ। ४५ मा छे (उड्ढलोयतिरियलोए असंखेजगुणा) व तिय सभा मस यातमा छ (तेलोक्के संखेजगुण) a४यमा सच्यात छ (अहोलोए तिरियलोए संखेनगुणा) मधात तिसभा सभ्यता छ (अहोलोए संखेजगुणो) अघालामा संज्यातगए। छ (तिरियलोए संखेजगुणा) तिय લોકમાં સાતગણ છે (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रनी अपेक्षा (सव्वत्थोवाओ देवीओ) अपाधी माछी टीसी (उडढलोए) 4भा छ (ड्ढलोयतिरियलोए असंखेजगणाओ) arसो तियोमा २२स च्याती छे (लोक्के संखेज्जगुणाओ) शायमा सातगणी छे (अहोलोयतिरियलोए सखेज्जगुणाओ) अघोसा तियसभा सध्यात छ (अहोलोए स खेज्जगुणाओ) मधासोमा सध्यातगणी छे (तिरियलोए स खेज्जगुणाओ) तिय सभा सण्यातगणी छे.
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy