SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 287
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयघोधिनी टीका पद ३ सू.३० क्षेत्रानुसारेण रयिकाद्यपटुत्वम् २६९ स्तोमाः मनुष्याही लो, अलिकतिर्यलोके असंख्येय गाः, अघोलोकतिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, ऊर्श्वलोके संख्येयगुणाः, अयोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकाः मनुष्या स्त्रैलोक्ये, ऊर्यलोकतिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, अयोलोकतिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, ऊर्यलोके संख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वसंख्यातगुणी हैं । (अहोलोए संखेजगुणाओ) अधोलोक में संख्यात गुणी हैं (तिरियलोए संखेजगुणाओ) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणी है। __(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोवा मणुस्सा तेलोक्के) सव से कम मनुष्य त्रैलोक्य में हैं (उडलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा) अवलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यात गुणा हैं । (अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणा हैं (उद्धलोए संखेज्जगुणा) अप्रलोक में संख्यात गुणा (अहोलोए संखेज्जगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा (तिरियलोए संखेज्जगुणा) तिर्यकलोक में संख्यातगुणा हैं । (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोवा मणुस्सीओ तेलोक्के) सबसे कम मनुष्यनी त्रैलोक्य में हैं (उडलोयतिरियलोए संखेज्जगुणाओ) ऊर्ध्वलोक तिर्यक्लोकमें संख्यातगुनी है (अहोलोयतिरियलोए संखेज्जगुणाओ) अधोलोक-तिर्यक्लोक में संख्यातगुणी (उडलोए संखेज्जगुणाओ) ऊर्ध्वलोक में संख्यातगुणी (अहोलोए संखेज्जगुणाओ) अधोलोक में संख्यातगुणी (तिरियलोए संखेज्जगुणाओ) मधमा यातngी छ (तिरियलोए संखेजगुणाओ) તિર્યક લેકમાં સંખ્યાતગણી છે. (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रना मनुसा२ (सव्वत्थोवा मणुस्सा तेलोक्के) पाथी माछा मनुष्य सयमा छ (उड्ढलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा) apals तिय सभा असण्यातमा (अहोलोयतिरियलोए संखेन्जगुणा) अधोखा तिय सभा सण्यातग छ (उड्ढलोए संखेजगुणा) 4 सध्यातमा (अहोलोए संखेज्जगुणा) अधोसोमा सात (तिरियलोए खेज्जगुणाओ) નિકલોકમા સંપાનગણ છે. (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रना अनुसार (सम्बन्थोवा मगुस्सीओ तेलोके) आधाथी गाछी भानुपाणी यमा छ (उड्ढलोच तिरियलोप संखेजगुणाओ) 4 सो तिय ४४मा यातगणी (अहोलोर तिरियलोए संखेनगुणाओ) अधोसो नियम सध्याdug (उड्ढलोय संखेजगुणाओ) मा यातgी (अहोलोर संखेजगुणाओ) गधाभा में ध्यान गायी छ. निस्चिलो संख
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy