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________________ २२८ प्रथापनास पाधिका वा ? गौतम ! सस्तोकाः जीयाः नो पर्याप्त का नोऽपर्याप्त काः, अनन्तगुणाः, पर्याप्तकाः संख्येयगुणाः, द्वारम् १७ ॥भू० २२॥ ___टीका-अथ पर्याप्तकद्वारमधिकृत्य जीवाल्पत्यवहुत्यादिकं प्रख्पयितुमाह-एएसिणं भंते ! जीवाणं' गौतमः पृच्छति-हे भदन्त ! एतेषां खलु जीवानाम् 'पज्जत्ताणं' पर्याप्तकानाम्, 'अपजत्ताणं' अपर्याप्तकानाम्, 'नो पज्जत्ता नो अपज्जत्ताण य' नो पर्याप्तक नोऽपर्याप्शकानां च मध्ये 'कयरे कयरेहितो' कतरे कतरेभ्यः, 'अप्पा वा, वहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा ? अल्पा बा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा भवन्ति ? भगवान् उत्तरयति-'गोयमा !' हे गौतम ! अपजत्तार्ण नो पज्जत्ता नो अपज्जत्ताण य) पर्याप्त, अपर्याप्त और नो पर्याप्त नो अपर्याप्त जीवों में (कयरे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, वहत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्यत्योवा जीवा नो पजत्सा नो अपजत्तगा) सब से कम नो पर्याप्त-नो अपर्याप्त जीव हैं (अपज्जत्तगा अणतगुणा) अपर्याप्तक अनन्तगुणा हैं (पज्जत्ता संखिजगुणा) पर्याप्तक संख्यात गुणा है ॥२२॥ टीकार्थ-अव पर्याप्तक द्वार की अपेक्षा जीवों के अल्पयत्व का प्रतिपादन किया जाता है श्री गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं-हे भगवन् ! इन पर्याप्त, अपपर्याप्त और नो पर्याप्त-नो अपर्याप्त जीवों में से कौन किसकी अपेक्षा अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? भगवान् उत्तर देते हैंत्ताणं नो पज्जत्ता नो अपज्जत्ताण य) पर्यात, अपर्यास, मन न पर्याप्त न मर्यात वाभा (कयरे कयरेहित्तो) नाथी (अप्पा वा घहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) २६५, घा तुल्य अथवा विशेषाधि छ ? (गोयमा) 3 गोतम ! (सव्वत्थोवा जीवा नो पज्जत्ता नो अपज्जत्ता) साथी छ। न पर्याप्त न अपर्याप्त छ (अपज्जत्तगा अणंतगुणा) अपर्याप्त मनन्त । छ (पज्जत्तगा संखिज्जगुणा) पर्यात सध्यातमा छ ટીકાર્થ–હવે પર્યાપ્તક દ્વારની અપેક્ષાએ જેના અલ્પ બહત્વનું પ્રતિ પાદન કરાય છે શ્રી ગૌતમસ્વામી પ્રશ્ન કરે છે હે ભગવન્! આ પર્યાપ્ત અપર્યાપ્ત અને ન પર્યાપ્ત–ન અપર્યાપ્ત છમાંથી કોણ કોની અપેક્ષાએ થેડા, ઘણું તુલ્ય અથવા વિશેષાધિક છે? શ્રી ભગવાન્ ઉત્તર આપે છે–ગૌતમ! બધાથી ઓછા જીવ ને પર્યાપ્ત
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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