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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.७ बादरजीवाल्पबहुत्वम् यिकानां वादराप्कायिकानां वादरतेजःकायिकानां वादरवायुकायिकानां वादरवनस्पतिकायिकानां प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकायिकानां वादरनिगोदानां बादरत्रसकायिकानां पर्याप्तापर्याप्तकानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः वादरतेजःकायिकाः पर्या प्तकाः बादरत्रसकायिकाः पर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, वादरत्रसकायिका अप_प्तिका असंख्येयगुणाः प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकायिकाः पर्याप्तकाः असं... (एएसि णं भंते ! हे भगवन् ! इन (बायराणं) बादर जीवों (वायर पुढविकाइयाणं) बोदर पृथिवीकायिकों (बायरआउकाइयाणं)-बादर अकायिकों (बायरतेउकाइयाणं) बादर तेजस्कायिकों (बायरवाउकाइयाणं) यादर वायुकायिकों (बायरवणस्सइकाइयाणं) बादर वनस्पतिकायिकों (पत्तेयसरीर बायरवणस्सइकाइयाणं) प्रत्येक शरीर वादर वनस्पतिकायिकों (बायरनिगोयाणं) बाद निगोदकायों (वायरतसकाइयाणं) बादर सकायिकों के (पज्जत्तापज्जत्ताणं) पर्याप्तकों और अपर्याप्तकों में (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा , तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (सन्वत्थोवा बायरतेउकाइया पज्जत्तया) सब से कम बाद तेजस्काय के पर्याप्तक हैं (बायरतसकाझ्या पज्जत्तया असंखेज्जगुणा) बादर सकायिक पर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (बायर तसकाइया अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा) बादर सकायिक अपर्याप्त असंख्यात गुणा हैं (पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया पज्जत्तया (एएसि णं भंते ।) सावन् । 20 (बायराणं) मा६२ ०। (बोयर पुढवि. काइयाणं) मा६२ पृथ्वीय (वायर आउकाइयाणं) मा४२ ४ायि। (बायर तेउकोइयाणं) मा६२ ते४२४यि। (वायर वाउकाइयाण) मा६२ वायुायि। (वायर वणस्सइकाइयाणं) मापनस्पतिय(पत्तयसरीर वायरवणम्सइकाइयाणं) प्रत्ये४ शरी२ ॥४२१नस्पतियो । (वायर निगोयाणं) ॥२ निगा । (वायरतसकाइयाणं) मा६२ ३सायिटीना (पज्जत्ता पज्जत्ताणं) पर्याप्त मने मर्यातमा (कयरे कयरे हिनो) और छीनाथी (आपा वा बहुया तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) અલ્પ, ઘણુ તુલ્ય અથવા વિશેષાધિક છે? (गोयमा ।) हु गौतम । (सव्वत्थोवा वायर तेउकाइया पज्जत्तया) पाथी माछा पा२ ते४२४ायना पर्याप्त छ (वायरतसकाइया पज्जत्तया असंखेजगुणा) मा सायि५ पर्यास असण्यातग छ (वायरतसकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा) मा६२ सय४ अर्यात मसभ्यातमा छ, (पत्तेयसरीर वायरवणस्सइकाइया
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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