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________________ प्रज्ञापनाय १२२ बादर निगोदाः अपर्याप्तवाः असंख्येयगुणाः, वादरपृथिवीकायिकाः अपर्याप्रकाः असंख्येयगुणाः, वादराप्कारिकाः अपर्याह्नकाः असंख्येयगुणाः, नादर-वायुकायिकाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः वादनरपटिकादिकाः अपर्याहकाः अनन्तगुणाः, वादरापर्याप्तका विशेषाधिकाः एतेषां खलु भदन्त ! बादरपर्यासकानां वादरपृथिवीकायिकानां पर्याप्तकानां वादराप्यायिकानां पर्याप्तकानां वादर तेजः कायिकानां पर्याह्नकानां वादश्वायुकायिकानां पर्याप्तकानां प्रत्येकशरीर शरीर घादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (बादर(निगोदा अपज्जन्त्तगा असंखेज्जगुणा ) बादर निगोद के अपर्याप्तक, असंख्यातगुणा हैं ( चादर पुढविकाइया अपज्जन्तमा असंखेज्जगुणा) बादर पृथिवीकाय के अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (बादरआउकाड्या अपनतगा असंखेज्जगुणा) चादर अष्काय के अपर्याप्तक असंख्यातगुणा हैं - (बादरवाङकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ) बादर वायुकायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (बादरवणस्सइकाइया अपज्जगा अनंत गुणा) बादर वनस्पतिकाय के अपर्याप्त अनतरणा हैं (बादर अपरजतगा विसेसाहिया) बादर अपर्याप्त विशेषाधिक हैं । (एएसि णं भंते!) हे भगवन् ! इन (वायरपज्जत्तयाणं) यादर , पर्याप्तक जीवों (बादरपुढविकाइयाणं पज्जत्तयाणं) बादर पृथिवीकाय के पर्याप्तकों (बायर आउकाइयाणं पज्जत्तयाणं) वादर अष्काय के पर्याप्तकों (बायरतेडकाइयाणं पज्जत्तयाणं) बादर तेजस्कायिक पर्याप्तकों (वायर वाउकाइयाणं पज्जत्तयाणं) वादर वायुकायिक पर्याप्तक अपर्याप्त संख्यातगया है (बादर निगोदा अपज्जत्तया असंखेज्जगुणा ) (माहर निगोहना अपर्याप्त असभ्याता छे. (बादर पुढत्रिकाइयो अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा) माढर पृथ्वी यि अपर्याप्त असण्यातगएणा छे (बादर आउकाइया अपज्जत्तगा असखेज्जगुणा ) खादर ४णायि अपर्याप्त असण्यातला छे (वादवाकाइया अपज्जत्तगो असंखेज्जगुणा ) माहर वायुअयि अपर्याप्त असध्याता है (वादर वणः सइकाइया अपज्जत्तगा अतगुणा ) गाहरवनस्पतिडायना अपर्याप्त अनन्तगणा छे (बादर अपज्जतगा विसेसाहिया) बाहर અપર્યંત વિશેષાધિક છે (एएसि णं भते । भगवान् मा (बादर पज्जत्तयाणं) महर पर्याव (वार पुढविकाइयाण पज्जत्तयाणं) बाहर पृथ्वी अयना पर्यास (बादर आउकाइ - याणं पञ्जत्तयार्ण (जाहर भजाय पर्यास (बादर ते काइयाणं पज्जत्तयाणं) जाहर तेक्स्झायिक पर्यास। (वायर वाकाइयाणं पत्त्याण) माहर वायुशयिष्ठ
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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