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________________ प्रमैयबोधिनी टीका पद ३ सू.७ वादरजीवाल्पवहुत्वम् १२१ बादराकायिकापर्याप्तकानां वादरतेजःकायिकापर्याप्तकानां वादरवायुकायिकापर्याप्तकानां वादरवनस्पतिकायिकापर्याप्तकानां प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकायिकापर्याप्तकानां वादरनिगोदापर्याप्तकानां वादरत्रसकायिकापर्याप्तकानां च कतरे कतरेभ्योऽल्पा चा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा गौतम ! सर्वस्तोकाः वादरत्रसकायिकाः अपर्याप्तकाः, वादरतेजाकायिका अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकायिका अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः गाणं) यादर पृथिवीकायिक अपर्याप्तकों (बादरआउकाइय अपजसगाणं) यादर अप्कायिक अपर्याप्तकों (बादरतेउकाड्य अपज्जत्तगाण) बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तों (बाँदवाउकाइय अपज्जत्तगाणं) वादर वायुकायिक अपर्याप्तों (बादरवणस्सइकाइय अपजत्तगाणं) यादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तों (पत्तेयसरीर बादरवणस्सइकाइय अपजत्तगाणं) प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तकों (वादरनिगोद अपज्जत्तगाणं) बादर निगोद अपर्याप्तकों (बादरतसकाइय अपजत्तगाण य) और बादर सकायिक अपर्याप्कों में (कयरे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेपाधिक हैं ? । (गोयमा !) हे गौतम ! (सव्वत्थोवा बादरतसकाइया अपज्जत्तया) यादर उसकायिक अपर्याप्त सब से कम हैं (बादर तेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेजगुणा) वादर तेजस्कायिक अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (पत्तेयसरीर बादर वणस्सइकाइया अपजत्तगा असंखेजगुणा) प्रत्येक वी४ि मसि। (बादर आउनाइय अपज्जत्तगाणं) पा६२ यि मपति (वाटरते उकाइय अपज्जत्तगाण) २ ते .४ ॥५ ॥ (बादर वाउकाइय अपज्जत्तगाण) ॥६२ पायुयि मर्यामी (बादरवणस्मइकाइय अपज्जत्तगाणं) ६२ वनस्पतिथि: अपर्याप्त (पत्तयसरीर वादग्वणस्मइकाइय अपज्जत्तगाणं) प्रत्ये: शरी२ ॥४२ वनस्पतिथि अपर्याप्त (वादर निगोद अपज्जत्तगाणं) ॥६२ निगाह अपर्याप्त। (बाहर तसकाइय अपज्जत्तगाणं य) भने मा६२ २५४५४ पर्या सीमा (कयरे कयरेहितो) आ अनाथी (अप्पा वा यया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वो) २६५, घा, तुझ्य अ॥२ ता विशेपिछ ? (गोयमा ) 3 गौतम ! (मव्यन्योवा बादर तसकाइया अपना नया) २ मयि४ १५यात याची माछा छ (वाटर तेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेनगुणा) ॥२ ते२४ायि २५५ति रायता छ (पत्तयसरीरबादर यणस्सइकाइया अपज्जत्तगा असंखेजगुणा) प्रत्ये४ शदी२ ॥६२ वनस्पतिथि -, म.१६
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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