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________________ D प्रमेयोधिनी टीका पद ६ सू.१२ वैमानिकदेवोपपातनिरूपणम् तानरूपणम् १०९५ भूमिगेभ्य उपपद्यन्ते, मिथ्याष्टिपर्याप्तकेश्य उपपद्यन्ते, सम्यगमिथ्यादृष्टि पर्याप्तकेभ्य उपपद्यन्ते ? गौतम ! सम्यग्दृष्टिपर्याप्तकसंख्येयवर्पायुष्क कमभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्येभ्य उपपद्यन्ते, मिथ्यादृष्टिपर्याप्तकेस्य उपपधन्ते, नो सम्यग्मिथ्यादृष्टिपर्याप्तकेभ्य उपपद्यन्ते, यदा सम्यगृदृष्टिपर्याप्तकसंख्येयवर्पायुष्ककर्मभूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्येभ्य उपपद्यन्ते, किं संयतसम्यग्दृष्टिभ्यः, असंयत सम्यग्दृष्टिपर्याप्तकेभ्यः संयतासंयत सम्यग्दृष्टिपर्यागेहितो उववज्जति) क्या सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिजों से उत्पन्न होते हैं (मिच्छदिद्विपज्जत्तरोहिंतो उववज्जति ?) या मिथ्याटि पर्याप्तकों से उत्पन्न होते हैं ? (लस्लापिच्छदिहिपज्जतगेहिंतो उववज्जति ?) सम्यग्मियादृष्टि पर्याप्तकों से उत्पन्न होते हैं ? (गोथमा ! लम्पदिहिपज्जत्तगलंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगम्भव कंतियमणूसेहितो उववज्जति) गौतम ! सम्भदृष्टिपर्याप्तक संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिजगर्मज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं (मिच्छद्दिटिपज्जत्तगेहिंतो उववजति) मिथ्यादृष्टि पर्याप्तकों ले उत्पन्न होते हैं (नो सम्ममिच्छद्दिहिपज्जत्तरोहितो उपवज्जति) सम्यरिमथ्याष्टिपर्याप्तकों से नहीं उत्पन्न होते ___ (जह सम्मदिष्टिपज्जत्त संखेज्जवालाउयकम्मभूमगगमवक्कंतियमणूसेहिंतो उववज्जति) यदि लम्तरदृष्टि पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले कर्मज मनुष्यों से उत्पन्न होते हैं (किं लंजत लम्लादिहिहितो असंयतसम्मदिट्टीपज्जत्तएहिंतो संजयासंजय सम्मतिट्रिपज्जत्तसंखे. कम्मभूमिगेहितो उववज्जति ) शु सभ्यट पति से ज्यात पथुि५४ ४म भूभिनयी उत्पन्न थाय छ ? (मिच्छदिट्रिपज्जत्तरोहितो उववज्जति ?) २०१२ मिथ्याष्टि पर्याप्त थी उत्पन्न थाय छ ? (सम्मामिच्छदिट्टि पज्जत्तरोहितो उववज्जति १) सभ्य मिथ्याष्टि पर्याप्त थी उत्पन्न याय छ १ (गोयमा । सम्मदिट्ठि पज्जत्तग संखेज्जवासाउयकम्मभूमिगगन्भवतियमणूसेहि तो उववजंति) ગૌતમ ! સંમ્યગ્દષ્ટિ પર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષાયુષ્ક કર્મભૂમિક ગર્ભજ મનુષ્યોથી Gruन्न थाय छे ? (मिजदिद्वि पज्जत्तगेहि तो उक्वज ति) (मथ्या पर्याप्त माथी Grurन थाय छे. (नो सम्मामिच्छदिट्टि पजत्तरोहितो उवयजति ?) सभ्य भिश्याદષ્ટિ પર્યાપ્તકથી નથી ઉત્પન્ન થતા. (जइ सम्मदिद्वि पज्जत्तसंखेजवासाउयकम्मभृमगगम्भवतियमसेहिनो उववज्जति) यहि सभ्य6ि2 पर्यात सध्यात १५ नी मायुयाय ४मभूमि Panor मनुष्योथी ६५ धाय है, (कि. मनर निहितो, २.स्यतया मनिष्ट्रि
SR No.009339
Book TitlePragnapanasutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1196
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size80 MB
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