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अंशापनास्त्र द्वासप्ततीनाम् आत्मरक्षकदेवसाहस्रीणाम् यावद् विहरति, कुत्र खलु भदन्त ! माहेन्द्रदेवानां पर्याप्तापर्याप्तानां स्थानानि प्रज्ञप्तानि ? कुत्र खलु भदन्त ! माहेन्द्रकदेवाः परिवसन्ति ? गौतम ! ईशानस्य कल्पस्य उपरि सपक्षं सप्रतिदिन बहूनि योजनानि यावत् बहुकाः योजनकोटिकोटी: ऊर्य दरम् उत्प्रेत्य अत्र खलु माहेन्द्रो नाम कल्पः प्रज्ञप्तः, प्राचीनप्रतीचीनायतः यावत् एवं यथैव सनत्कुमारो, नवरम् अष्टविमानावासशतसहस्राणि, अवतंसकाः यथा ईशाने, नवरम् मध्ये अत्र माहेन्द्रावतंसकः, एवं यथा सनत्कुमाराणां-देवानां यावद् विहरन्ति, माहेन्द्रोऽत्र देवेन्द्रो देवराजः परिवसति, अरजोऽम्बर वस्त्रधरः, एवं यथा सनत्कुमारे यावत् विहरति, नवरम् अप्टानाम् विमानावासशतसहस्राणां महिसीओ णस्थि) विशेषता यह है कि यहां अग्रमहिपियां नहीं हैं
(सणंकुमारे इत्थ देविंदे देवराया परिवसइ) यहां सनत्कुमार नामक देवेन्द्र देवराज निवास करता है (अरयंवरवत्थधरे) रजरहित वस्त्रों को धारण करनेवाला (सेसं जहा सकस्स) शेष वर्णन शक्रेन्द्र के समान (से णं तत्थ) वह वहां (वारस विमाणावाससयसहस्साणं) बारह लाख विमानों का (बावत्तरीए सामाणियसाहस्सीणं) यहत्तर हजार सामानिक देवों का (सेसं जहा सकस्स) शेष शक के समान (अग्गमाहिसीवज्ज) अग्रमहिषियों को छोड कर (नवरं चउपहं यावत्तरीणं आयरक्खदेवसाहस्सीण) चार यहत्तर हजार अर्थात् दो लाख अठासी हजार आत्मरक्षक देवों का (जाव विहरइ) यावत् विचरता है।
(कहि णं भंते ! माहिंद देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता?) (हे भगवन् ! पर्याप्त-अपर्याप्त माहेन्द्र देवों के स्थान कहां कहे हैं? (कहि णं भंते ! माहिंदगदेवा परिवसंति ?) हे भगवन् माहेन्द्रक देव. कहां निवास करते हैं ? (गोयमा) हे गौतम (ईसाणस्स कप्पस्स
. (सण.कुमारे इत्थ देविंदे देवराया परिवसइ) मडी सनत्भार नाम हेवेन्द्र ४१२०४ निवास ४२ छे. (अरयंवग्वत्यधरे) २२४ २डित पत्रो धार ४२पा वाणा (सेसं जहा समकस्स) शेष पाणुन शन्द्रनां समान (सेणं तत्य) ते त्यां (बारसणं विमाणावाससयसहस्साग) १२ पाप विमानानु (वायत्तरीए सामाणिय साहस्सीणं) मातेर उन२ सामानि वोन (सेसं जहा सक्कास) शेष छन्द्रना समान (अग्गम हिसी बज्ज) ममडक्याने त्यने (नवरं चउण्ण वायत्तरीणं आयरक्खदेवसाहस्सीण) या२ मातेर हुनर अर्थात् मे साम म४यासी उतर मात्म२६४ होना (जाव विहरइ) यावत् वियरे छे.
(कहिणं भंते । माहिंददेवाणं पजत्तापज्जताणं ठाणा पण्णत्ता ?) सावन् ! पर्यास अने. अपर्यात भाडेन्द्र वाना स्थान ४५॥ ४i छ ? (कहिणं भंते ! माहिदग देवा परिवसंति) गवन् ! भाडेन्द्र हे या निवास ४२ छ? .