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________________ प्रमैयबोधिनी टीका द्वि. पद २ सू.१७ भवनपतिदेवानां स्थानानि ६७७ स्वेषां त्रायस्त्रिंशकाणां, स्वेपां स्वेपां लोकपालानां, स्वासां स्वासाम् अग्रमहिपीणां स्वासां स्वासां परिपदाम् स्वेषां स्वेषास् अनीकानास् स्वेपां स्वेपाम् अनीकाधिपतीनाम् स्वास्वां स्वासास् आत्मरक्षकदेवसाहस्रीणाम् अन्येपाञ्च वहूनां भवनवासिनां देवानां च देवीनां च आधिपत्यं पौरपत्यं स्वामित्वं महत्तरकत्वम् आजेश्वरसेनापत्यं कारयन्तः पालयन्तः महदाहतनाटयगीतवादिततन्त्रीतलतालत्रुटितधनमृदङ्गपटुप्रवादितरवेण दिव्यानि भोगभोगानि भुञ्जन्तो विहरन्ति ॥सू०१७॥ णियसहस्सीणं) अपने-अपने हजारों सामानिक देवों का (साणं साणं तायत्तीसाणं) अपने-अपने त्रायस्त्रिंश देवों का (साणं साणं लोगपालाणं) अपने-अपने लोकपालों का (लाणं साणं अग्गमहिसीणं) अपनी-अपनी अग्रनहिषियों का (साणं साणं परिसाणं) अपनी-अपनी परिषदाओं का (साणं साणं अणीयाण) अपने-अपने अनीकों का (साणं साणं अणिआहिवईणं) अपने अपने अनीकाधिपति देवों का (साणं साणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं) अपने-अपने हजारों आत्मरक्षक देवों का (अन्नेसिंच वरणं) तथा अन्य बहुत-से (भवणवासीणं) सवनवासी (देवाण य देवीण य) देवों और देवियों का (आहेवच्चं) अधिपतिन्व (पोरेवच्चं) पौरपत्य (सामित्तं) स्वामित्व (भहित्तं) भर्तृत्व (महत्तरगत्तं) महत्तर पन (आणाईसरसेणाबच्च) आज्ञा-ईश्वर-सेनापतित्व (कारेमाणा) करते हुए (पालेमाणा) पालन करते हुए (महयायनदृगीय वाइयतंतितलतालतुडियधणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं) आहत नृत्य, गीत, वादित एवं तंत्री तल ताल घनदंग के बजाने से उत्पन्न महान ध्वनि पोताना (भवणावाससयसहस्साण) सामी मनापासना (सोणं साणं सामाणियसाहस्सीणं) पात-पाताना त सामानि हेवाना (साणं साणं तायत्तीसाणं) पोत पाताना त्रायणि २ हेवानी (साणं-साणं लोगपालाणं) पोत पाताना als पासना (साणं-साण अग्गमहिसीणं) पोत-पोतानी अभडिषीयोना (साणं-साणं परिसाणं) पातपातानी ५२५हाना (साणं साणं अणीयाणं) पात पोताना १४२ ना (साणं-साण अणिआहिवईण) पति-पोताना गनिधिपति वोना (साणं-साणं आयरक्खदेवसाहम्सीणं) पात-पाताना । मात्भ२२५ देवाना (अन्नेसिं च बहणं) तथा ilan ag! (भवणवासीणं) लवन-सी (देवाण य देवीण य) ११ मने हेवीयाना (आहेवच्चं) धिपतित्व (पोरेवच्च) पारपत्य (सामित्त) स्वामित्व (भट्टित्तं) मतत्व (महत्तरगत्तं) मोटापा (आणाईसरसेणावच्चं) २॥शा व२ सेनापतित्व (कारेमाणा) ४२२१२वता (पालेमाणा) पालन ४५॥ २॥ (महया हयनद्वगीयवाइय. तंति तलतालतुडियधणमुइंग पडुप्पयाइयरवेणं) माउत, नृत्य, गीत, पात्रतभर
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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