SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 441
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२० प्रशापनासूत्रे कुत्र खलु संमूछिममनु गाः रामूच्छनि ? गौतम! अतो मनुष्यक्षेत्रे पश्च चत्वारिंशति योजन शवराहस्रपु, अतृतीयेषु द्वीपसमुद्रे पु, पञ्चदशसु कर्मभूमिपु, विंशति अर्मभूमिपु, पट्पञ्चाशति अन्तरद्वीपेगु, गर्भव्युत्क्रान्तिकमतुष्याणामेव उच्चारेषु वा प्रस्रवणेषु वा खेलेयु वा शिवाणकेषु वा वान्नेषु वा पित्तेपु वा पूयेषु वा शोणितेषु वा शुक्रेषु वा शुक्रपुद्गलपरिशाटेषु वा विगतजीवकलेवरेपु वा (दुविहा पण्णता) दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (संमुच्छिममणुस्सा य गम्भवक्कंतियमणुस्सा य) संमूर्छिम मनुष्य और गर्भज मनुष्य (ले किं तं संमुच्छिममनुस्सा ?) संमृछि सनुप कितने प्रकार के हैं ? (कहि णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति ?) कहां भगवन् ! संमूर्छिम मनुष्य जन्मते हैं ? (गोयमा ! अंतो मणुस्सखित्ते) हे गौतम ! मनुष्य क्षेत्र के अन्दर (पणयालीसाए जोयणसयसहस्सेसु) पैतालीस लाग्य योजन परिमित (अड्डाइज्जेषु दीवसमुहेसु) अढाईद्वीप समुद्रों में (पन्नरससु) पन्द्रह (कम्मभूमिसु) कर्मभूमियों में (तीसाए) तीस (अकम्मभूमिसु) अकर्मभूमियों में (छप्पन्नाप) छप्पन (अंतरदीवेसु) अन्तर्वीपों में (गम्भवक्कंतिय मणुस्साणं चेव) गर्भज मनुष्यों के ही (उच्चारेसु वा) मल में (पासवणेतुनासूत्र में (खेलेसु वा) कफ में (सिंघाणेसु वा) रेट में-नाक के मल में (वंतेसु वा) वमन में (पित्तेस्तु चा) पित्त में (पूगसु वा) मवाद में (सोणि वा) रुधिर में (सुक्केसु वा) शुक्र में (सुक्कपुग्गलपरिसाडेसु वा) पहले सूखे फिर गीले हुए शुक्र में (विगयजीवकलेवरेसु वा) मृतकजीव-कलेवरों में (दुविहा पण्णत्ता) मे. प्रार। हाछे (त जहा) तेग मारेछ (संमुच्छिममणुस्सा य गमवक्कंतियमगुस्सा य) स भूछि म मनुष्य मने . मनुष्य (से कि त संगुच्छिगमणुरसा) स भूमि मनुष्य ॐ २॥ छ ? (कहिण भंते) । समुच्छिममणुरसा संमुच्छंति ?) मावान् स भूमि भनुष्य ४यान्मता शे? (गोयभा । अंतोमणुस्सखित्ते) गौतम भनुप्य क्षेत्रनी २०६२ (पणयालीसाए जोयणसयसहम्सेसु) पिस्तelu an योन परिमित (अढाइब्जेनु दीवसमुदेश) Aढा दीप-समुद्रामा (पन्नरससु) ५ ६२ (कम्मभूमिसु) भमूभियोमा (तीसाप) श्री (अकम्मभूमिसु) समभियामा (छ'पन्नाए) ७५५न (अंतरदीवएस) मन्त२ दीपामा (गन्भवतियमणुस्साण चेव) गर्भ मनुष्याना (उच्चारेसु वा) भाभी (पासवणेसु वा) भूभा (खेलेतु वा) ४३भा (सिंधाणएसु वा) बीट नाना भाभी (वंतेसु वा) यमनमा (पित्तेसु वा) पितभा (पूण्सु वा) भाभा (सोणिएसु वा) साडिमा (मुस्केसु वा) पीयभा (सुस्कपुग्गलारिसाडेसु वा) पसा सुन्यने ५छाया
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy