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________________ ३८६ प्रज्ञापनासूत्रे अथ के ते दर्वीकराः ? दर्वीकरा अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-आशीविषाः, दृष्टि विषाः, उग्रविषाः, भोगविषाः, त्वविपाः, लालाविपाः, उच्छ्वासविषाः, निःश्वासविषाः, कृष्णसर्पाः, श्वेतसः, काकोदराः, दयपुप्पाः, कोलाहाः मेलिमिन्दाः, शेषेन्द्राः ये चान्ये तथाप्रकाराः, ते एते दर्वीकराः अथ के ते मुकु, लिनः ? मुकुलिनोऽनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-दिव्याकाः, गोनसाः, कपाधिकाः, (से कि त अही ?) अहि-सर्प कितने प्रकार के होते हैं ? (अही दुविहा पण्णत्ता) सर्प दो प्रकोर के कहे हैं (तं जहा) वह इस प्रकार (दव्वीकरा य) फण वाले (मलिणो य) विना फण के (से किं तं चीकरा ? फण वाले कितने प्रकार के हैं ? (अणेगचिहा पण्णत्ता) अनेक प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (आसीविसा) दाढों में विष वाले (दिद्विविसा) दृष्टि में विष वाले (उग्गविसा) उग्र विषवाले (भोगविसा) फण में विष वाले (तयाविसा) त्वचा में विषवाले (लालाविसा) लार में विषवाले (ऊसासविसा) उच्छ्वास में विषवाले (नीसासविसा) निश्वास में 'विषवाले (कण्हसप्पा) कृष्ण सर्प (सेयसप्पा) श्वेत सर्प (काओदरा) काकोदर (दज्झपुष्पा) दह्यपुष्प (कोलाहा) कोलाह (मेलिभिंदा) मेलिभिन्द (सेसिंदा) शेषेन्द्र (जे यावन्ने तहप्पगारा) और भी इसी प्रकार के । (से किं तं मलिणो ?) मुकुली-विना फण के सर्प कितने प्रकार के हैं। (अणेगविहा पण्णत्ता) अनेक प्रकार के कहे हैं (तं जहा) ने इस प्रकार हैं ' (से कि तं अही ?) मही-स4 सा माना जाय छे (अहि दुविहा पण्णत्ता) सी में ना छ (तं जहा) तेयो २॥ प्रथरे (दव्यीकरा य) शुवाणा (मउलिणी य) ३ पाना (से कि तं दव्वीकरा ?) वाणासी तना छ ? (दवीकरा) ३ पास (अणेगविहा पण्णत्ता) भने ४ ॥२॥ ४i छ (तं जहा) तमा मा ५४ारे छे (आसीविसा) वाढमा २वा (दिट्ठीविसा) टिम रवा (उग्गविसा) अविषाणा (भोगविसा) मा २वा (तयाविसा) पयामा ३२वा (लालाविसा) दाणमा ३२॥ (ऊसासविसा) S२७॥समा ३२॥ (नीसास विसा) निश्वासमा २१॥ (कण्हसप्पा) स५ (सेयसप्पा) श्वेतस५ (काओदरा) ४६२॥ (दज्झ पुप्फा) ५ (कोलाहा) साड (मेलिमिंदा) भलिभिन्। सिसि दा) शेषन्द्र (जे यावन्ने तहप्पगारा) यी ५ मापी जतन (से किं तं मउलिणो ?) भुसी ३ ॥२॥ सपा प्रा२ना ४ छ (अणेगविहा) भने ४१२॥ ४॥ छ (तं जहा) तेमा २ रीते छे (दिव्वागा)
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
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