SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 409
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयवोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३३ परिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्यानिकाः ३८५ एएलिणं चेव विणालेसु, एत्थ णं आसालिया संमुच्छइ । जह न्ने णं अंगुलस्त असंखेज्जइमागमेत्ताए ओगाहणाए, उको-' सेणं बारसजोयणाई, तयणुरूवं च णं विकखंभबाहल्लेणं भूमि : दोलित्ताणं समुदृइ । असन्नी मिच्छादिट्टी अण्णाणी अंतोमुह ताद्धाउया चेव कालं करेइ २ से तं आसालिया। . . ) __ छाया-अथ के ते परिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः ? परिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिका द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-उर परिसर्पस्थलचरपंञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिझाश्च, शुजसर्प स्थलचरपञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकाश्च । अथ के ते उरः परिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः ? उरःपरिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाश्चतुर्विधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-अहयः१, अजगराः२, आसालिका ३, महोरगाः ४ अथ के ते अहयः ? अहयो द्विविधा प्रज्ञप्ताः तद्यथा-दींकराश्च, मुकुलिनश्च । .. शब्दार्थ-(से किं तं परिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया?) परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिथच कितने प्रकार के हैं ? (दविहा पण्णत्ता) दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वह इस प्रकार (उरपरिसप्पथलयर० सुयपरिसप्पथल०) उर परिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच और भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यच - (से किं तं उरपरिसप्पथलयर०) उर परिसर्प स्थलचर० कितने प्रकार के हैं ? (चउविवहा पण्णत्ता) चार प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वह इस प्रकार (अही) सर्प (अयगरा) अजगर (आसालिया) आसालिका (महोरगर) महा-उरग । -(से कि तं परिसप्प थलयरपंचि दियतिरिक्खजोणिया ?) परि सारसय ५'यन्द्रिय तिटसा प्रा२न। ४ा छ ? (परिसप्पथलचरपंचि दिय तिरिक्खजोणिया) परिसप स्थल-५२ ५येन्द्रिय (दुविहा पण्णत्ता) मे ५४१२॥ ४ा छ (त जहा) ते २॥ रीते (उरपरिसप्प थलयर० भुयपरिसप्प थल०) ७२ परिस Dલયર પચેન્દ્રિય તિર્યંચ અને ભુજપરીસર્પ સ્થલચર પચેન્દ્રિય તિયચ .. (से कि त उरपरिसप्प थलयर० स्थसय२० ॥ २॥ छ ? (उर परिसप्प थलयर०) ७२. ५२ सप स्थसय२ (चउविहा पण्णत्ता) या२ ४२ .। छे (त जहा) ते २ रे (अही) सम (अयगररा) २०१२ (आसालिया) (PARसासि (महोरगा) भड:-S२२॥ प्र० ४९
SR No.009338
Book TitlePragnapanasutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages975
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size63 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy