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३४६ . . . . . . . . . . . . . . अशापनास्त्रे
+ मूलम्-से किं तं बेइंदिय संसारसमावन्नजीवपन्नवणा ? बेइंदिय संसारसमावन्नजीवपन्नवणा अणेगविहा पण्णत्ता, 'तं जहा-पुलाकिमिया कुच्छिकिमिया गंडूयलगा गोलोमा णेउरा सोमंगलगा वंसीमुहा सूइमुहा गोजलोया जालाउया संखा.. संखणगा घुल्ला गुलया खंधा वराडा सोत्तिया मुत्तिया कलुयावासा एगओ वत्ता दुहओ वत्ता नंदिया वत्ता संबुक्का माइवाहा सिप्पि संपुडा चंदणा समुहलिक्खा, जे यावन्ने तहप्पगारा सव्वे ते संमुच्छिमा नपुंसगा, ते समासओ दुविहा पंन्नत्ता, तं जहा-पजत्तगा य, अपज्जत्तगा य। एएसि णं एवमाइयाणं बेइंदियाणं पज्जत्तगाणं सत्त जाइकुलकोडि जोणीएमुह सयसहस्साई भवंतीति मक्खायं । से तं बेइंदिय संसारसमावन्न. जीवपन्नवणा ॥सू० २५॥ ... छाया-अथ के ते द्वीन्द्रियसंसारसमापनजीवप्रज्ञापना ? द्वीन्द्रियसंसारसमापनजीवप्रज्ञापना अनेकविधाः प्रज्ञप्ता, तद्यथा-पुलाकृमिकाः-पुतकृमयः, कुक्षिकृमिकाः, गण्डूपदाः, गोरोमाः, नूपुराः, सौमङ्गलकाः, वंशीमुखाः, सूची
शब्दार्थ-(से किं तं वेइंदिय संसारसमापन्न जीवपन्नवणा ?) द्वीन्द्रिय संसारी जीवों की प्रज्ञापना क्या है ? उनके कितने भेद हैं ? 'वेइंदियसंसारसमावन्नजीवपण्णवणा अणेगविहा' दो इन्द्रिय वाले संसारसमापन्नक; जीवों की प्रज्ञापना अनेक प्रकार की (पण्णत्ता) कही हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं-(पुलाकिमिया) पुलाकृमि, (कुच्छिकिमिया) कुक्षिकृमि (गंड्रयलगा) गंडूपद (गोलोमा) गोरोम (णेउरा) नृपुर (सोमंगलगा) सौमंगलक (वंशीमुहा) वंशीमुख (सूइमुहा) सूचीमुख (गोजलोया) गौजलौकस - विशन्द्रिय वानी प्र३५ो
. 11- 17Avat(से कि त बेइंदियसंसारसमावन्नजीवपन्नवणा ?) बीन्द्रय सशि
यानी प्रज्ञापन शु'छे १ (वेइंदियसंसारसमावण्णजीवपन्नवणा) मेंद्रिय ससा२ सार समापन्न वानी प्रज्ञापन (अणेग विहा) मन: ४२नी (पण्णत्ता)
हा छ (तं जहा) ते २॥ शत छ (पुलाकिमिया) साभि (कुच्छी किमिया) अक्षी मी (गडूयलगा) ५४ (गोलोमा) गाराम : (णेउरा) मूपुर (सोमंगलगा) सौमनस (वंसीमुहा) शी भुम (सुइमुहा)- शूथीभुभ (गोजलोयां) -