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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १.सू.२५ समेदद्वीन्द्रियजोवनिरूपणम् -- - .. -- मुखाः, गोजलौकसः, जालायुष्काः, शङ्खाः, शङ्खनकाः, घुल्लाः, खुल्लाः, गुड़ज़ाः, स्कन्धाः, वराटाः, सौत्रिकाः, मूत्रिकाः, कलुकावासाः, एकतोवृत्ताः, 'द्विधातो. वृत्ताः, नन्दिकावर्ताः, शम्बुक्काः, मातृवाहाः, शुक्तिसम्पुटाः, चन्दनाः, समुद्रलिक्षा, ये चान्ये तथाप्रकाराः सर्वे ते संमूच्छिमा नपुंसकाः, ते समासतो "द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-पर्याप्तकाश्च, अपर्याप्तकाश्च । एतेषां खलु एवमादिकानां द्वीन्द्रियाणां पर्याप्तापर्याप्तानां सप्त जातिकुलकोटि योनिप्रमुख शतसहस्राणि भवन्तीत्याख्यातम् । ते एते द्वीन्द्रियसंसारसमापन्नजीवप्रज्ञापनाः ॥सू० २५॥". (जालाउया) जालायुष्क (संखा) शंख (संखणगा) शंखनका (घुल्ला) घुल्ला (खुल्ला) खुल्ला (गुलया) गुडजा (खंधा) स्कन्ध (वराडा) वराटकौडी (सोत्तिया) सौत्रिक (मुत्तिया) मूत्रिक (कलुयावासा) कलुकावास -(एगओवत्ता) एकतोवृत्त (दुहओ वत्ता) द्विधातो वृत्त (नंदियावस) नन्दिकावर्त (संवुक्का) शम्बूक (माइवाहा) मातृवाह (सिप्पिसंपुडा) शुक्तिसंपुट (चंदगा) चन्दनक (समुद्दलिक्खा) समुद्रलिक्षां (जे यावन्ने तहप्पगारा) अन्य जो भी इस प्रकार के हैं। . (सव्वेते) वे सभी (संमुच्छिमा) संमूर्छिम (नपुंसगा) नपुंसक होते हैं (ते समासओ दुविहा पन्नत्ता) वे संक्षेप से दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा) इस प्रकार (पज्जत्तगा य अपज्जत्तगाय) पर्याप्त और अपर्याप्त । ...' (एएसि णं) इनके (एवमाइयाणं) इत्यादि (बेइंदियाणं) द्वीन्द्रियों के (पज्जत्ता पज्जत्तागं) पर्याप्त और अपर्याप्त के (सत्त जाइकुलकोडि
सोस (जालाउया) analयु४ (संखा) शम (संखणगा) शमन (घुल्ला) • घुटता (खुल्ला) मुसा (गुलया) Pson (खंधा) २४५ (वरोडा) asी (सोत्तिया)
सीनिय (मुत्तिया). भूत्रा (कलुया वासा). ४९४ पासा (एगओ वत्ता) से 'माणु गोण (दुहओ वत्ता) मे. माणु वृत्त (नंदियावत्त) नहीपत्त (संबुक्का) श९४ (मावाहा) भातपाड (सिप्पी संपुडा) शुति संयुट (चंदणा) यहन४ (समुद्दालक्खा) समुद्रसिक्षा (जे यावन्ने तहप्पगारा) ने मीnts मा ५२ना छे. - (सव्वे ते) तसा मया (समुच्छिमा) स भूछिभ (नपुंसगा) नस४ डाय छ (ते समासओ दुविहा पन्नत्ता) तेमा सपथी में प्रा२न। ४ा छ (तं जहा) ते मा ४॥२ (पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य) पति मने २५५र्यात - i(एएसि णं) तेगाना (एवमाइयाणं) विगेरे (वइंदियाण) दीन्द्रियाना (पंजता पज्जत्ताण) पर्याप्त मन अपर्याप्तना- (सत्त जाई कुलकोडि जोणिपमुह सयसहसाई) and earnति स ऑी (भवंतीति मक्खायं) डाय छे म .