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२२ जम्बूद्वीप में कहे गये दो चन्द्र के चंद्रद्वीप का निरूपण- ५९९-६१९ ___ २३ धातकीखण्ड एवं देवद्वीप में कहे हुवे चन्द्र सूर्य
का निरूपण- ६१९-६५१ २४ लवणसमुद्र के उद्वेध परिवृद्धि एवं गोतीर्थ का निरूपण- ६५१-६६३ २५ लवणसमुद्र के संस्थान का निरूपण
६६३-६८२ २६ धातकीखण्ड का एवं कालोदधिसमुद्र का निरूपण- ६८२-७१२ २७ पुष्करद्वीप एवं मनुष्यक्षेत्र का निरूपण
७१२-७६३ २८ मानुषोत्तर पर्वत का निरूपण
७६३-७८४ २९ मनुष्य क्षेत्रगत ज्योतिष्कदेव के उपपात एवं पुष्करोद
समुद्र का निरूपण- ७८४-८११ ३० वरूणवरद्वीप एवं क्षीरोदादिद्वीप का निरूपण- ८११-८३५ ३१ क्षोदोदादिद्वीप एवं अरुणादि द्वीपों का निरूपण- ८३५-९०३ ३२ जम्बूद्वीपादि द्वीपों के नाम निर्देश
९०३-९१७ ३३ बहुमत्स्य कच्छपाकीर्ण समुद्रों की संख्या का कथन- ९१७-९२१ ३४ इन्द्रिय पुद्गल के परिणाम का एवं देव शक्ति का निरूपण- ९२१-९४१ ३५ सूर्य चन्द्र के परिवारादि का कथन एवं ज्योतिष्कदेव
की चारगति का निरूपण- ९४१-९५५ ३६ चन्द्रादि देवों के विमानों के संस्थान आदि का कथन
एवं चन्द्रादि विमानवाहक देवों की संख्या का कथन३७ चन्द्रसूर्यादि की गति का व जम्बूद्वीपस्थ तारारूप के
अन्तर आदि का निरूपण- ९९२-१००६ ३८ चन्द्रविमानस्थ देवों की स्थिति का निरूपण- १००६-१०१० ३९, वैमानिक देवों के विमानों के स्थल तथा शक्रादि देवों की
परिषदा आदि का निरूपण- १०१०-१०५० ४० ऊर्ध्वलोक के देवों के विमानों की स्थिति एवं देव _ विमान पृथिवी के विस्तारादिका कथन- १०५०-१०९६ ४१ अवधिक्षेत्र परिमाण तथा सौधर्म ईशान आदि देवों
के सषुद्घात एवं विभूषा आदि का निरूपण- १०९६-११२२ ४२ सर्व प्राणभूत आदि के पूर्वोत्पत्ति का निरूपण
११२२-११३६ चतुर्थी प्रतिपत्ति ४३ पांच प्रकार के संसारी जीवों का निरूपण
११३७-११५२