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श्रीजीवाभिगमसूत्र की विषयानुक्रमणिका क्रमात विषय
पृष्ठा तीसरी प्रतिपत्ति १ वनपण्डगत वापी आदिका वर्णन२ जम्बूद्वीप द्वार संख्या का निरूपण३ विजयद्वार के दोनों पार्श्वभाग का वर्णन
६५-८१ ४ विजयद्वार के पार्श्व में रहे हुवे नैपेधिकी का वर्णन- ८१-११० ५ विजयद्वार में रहे हुवे चक्रध्वजादिक का निरूपण- ११०-१२८ ६ विजया राजधानी का स्थल एवं उनका विस्तार
आदिका कथन- १२८-१४७ ७ विजया राजधानी के चारों ओर वनपण्डादि का
निरूपण- १४७-१७७ ८ सुधर्मासभा का एवं उसकी मणिपीठिका का वर्णन- १७७-२३० ९ इशानकोण का सिद्धायतन तथा उपपातसभा का वर्णन- २३०-२५९ १० विजयदेव का अभिषेक का वर्णन
२५९-३३१ ११ विजयदेव का जिन (कामदेव) प्रतिमा का पूजन का
वर्णन- ३३१-३६६ १२ विजयद्वार का वर्णन
३६६-४०३ १३ यमकपर्वत के नाम एवं नीलवंतादि द्रह का कथन- ४०४-४५६ १४ जम्बूपीठ के स्वरूप का कथन
४५६-४६६ १५ जम्बूवृक्ष की चार शाखाओं का वर्णन
४६६-४७६ १६ पुष्करिणी के मध्य में रहे हुए प्रासादावतंसक का कथन- ४७७-४९७ १७ जम्बूद्वीप में रहे हुए सूर्य चन्द्रमा की संख्या आदिका
कथन- ४९७-५०१ १८ लवणसमुद्र एवं लवणसमुद्र में रहे हुए चन्द्रादि की
संख्या का कथन- ५०१-५२८ १९ लवणसमुद्र में जल की न्यूनाधिकता होने का कथन- ५२८-५५२ २० वेलन्धर नागराज तथा अनुवेलन्धर के आवास पर्वतो
का निरूपण- ५५२-५८५ २१ गौतमद्वीप के अधिपति सुस्थित के गौतमद्वीप का
निरूपण- ५८५-५९९