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________________ ४४ एकेन्द्रिय जीवों के अल्पवहुत्व का कथन ११५२-१९६४ पांचवीं प्रतिपत्ति • छह प्रकार के संसारी जीवों का निरूपण- ११६४-११७९ ४५ पृथ्वीकायादि छह प्रकार के जीवों का एवं सूक्ष्म पृथ्वीकाय आदि जीवों का अल्पबहुत्व का कथन- ११७९-१२०६ ४६ वादरकायादि जीवों की स्थिति एवं बादरादि जीवों के अल्पवहुत्व का निरूपण- १२०३-१२२१ ४७ निगोद जीवों का स्वरूप निरूपण १२५१-१२७४ छट्टि प्रतिपत्ति ४८ सात प्रकार के संसारी जीवों का निरूपण- १२७५-१२८३ सातवीं प्रतिपत्ति ४९ आठ प्रकार के संसारी जीवों का निरूपण-- १२८४-१३०२ __ आठवी प्रतिपत्ति ५० नव प्रकार के संसारी जीवों का निरूपण- १३०६-१३१० नववीं प्रतिपत्ति ५१ दश प्रकार के संसारी जीवों का निरूपण- १३१०-१३२६ , , दशवीं प्रतिपत्ति ५२ संसारासंसारसमापन सर्व जीवों की :: द्वैविध्यता का निरूपण १३२६-१३८६ ५३ सर्व जीवों के त्रैविध्यता का कथन १३८६-१४१८ ५४ सर्व जीवों के चतुर्विधता का निरूपण १४१८-१४४८ ६५ सर्व जीवों के पांचप्रकारता का निरूपण १४४८-१४५५ ५६ सर्व जीवों के छह प्रकारता का निरूपण १४५५-१४७५ ५७ सर्व जीवों के सप्त प्रकारता का निरूपण १४७५-१४८९. ५८ :सर्व जीवों के आठ प्रकारता का निरूपण- १४८९-१५०९ ५९ सर्व जीवों के नवप्रकारता का निरूपण १५०९-१५३४ ६० सर्व जीवों के दशप्रकारता का निरूपण- १५३५-१५६४ समाप्त
SR No.009337
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size117 MB
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