________________
औपातिकको गणियप्पहाणाओ सउणस्यपज्जवसाणाओ वावत्तरिकलाओ सुत ,
ओ य अत्थओ य करणओ य सेहाविहिति सिक्वाविहिति, त जहा लेहं १, गणियं २, रुवं ३, णटं ४, गीयं ५, वाइयं ६, सर'गणियप्पहाणाओ' गणितप्रधाना , 'सउणरुयपजवसाणाओ' शकुनरतपर्यवसाना ,'बार तरिकलाओ' दासप्ततिकला , 'मुत्तओ य' सूरत मनस्यपदपाठनात् , 'अस्थओं य' अर्थत पदार्थबोधनात् , 'करणोय करणत =अयोगत -कलाव्यापार प्रदर्शनात् , 'सहावित हिति' साधयिपयतिभापयिष्यति, 'सिक्रवावहिति' शिक्षयिष्यति अभ्याम कारयिष्यति ।
ता कला नामत प्रदर्शयति- 'त जहा' तद्यथा-'ले लेख-लेम्वन लेख - अक्षरबिन्यासस्तद्विषयकलाविज्ञान लेम्ब एवोभ्यते तम् , 'गणिय' गणित-मा यान मकालता घनेकमेदम् २, 'रूब' रूप लेप्यशिलासुवर्णमणिवसचित्रादिपु रूपनिमाणम् ३, 'ण' नाटयसाभिनयनिरभिनयपूर्वक नर्तनम् ४, 'गीय' गीत गान्धर्वकलाज्ञानविज्ञानम् ५, 'वाइय' वाप-वीणापटहादिवादनकलाजानम् ६, 'सरगय' स्वरगतम्गीतमूलभूताना पड्जरूपमाददारग) उस दृढप्रतिज्ञ कुमार को (लेडाइयाओ गणियप्पहाणाओ) लिम्बने आदि का, गणित की, तथा पक्षी के शब्द आदि जानने की (बावत्तरिफलाओ) ७२ कलाओं में (मुत्तो य) सूत्ररूप से (अत्यो य) एव अर्थरूप से तथा (करणी यो प्रयोगरूप से (सेहाविहिति) प्राप्त करायेगा, (सिक्वाविहिति) अभ्यास करायेगा। (त जहा) बहत्तर कलामो के नाम ये हैं- (१ लेह ) लेस लिखने की, (२ गणिय) गणित की,(३ रूप) रूप की अर्थात् लेप्य, शिला, सुवर्ण, मणि, वस्त्र एव चित्र इत्यादिकों में रूपनिर्माण करने की, (४ जह) नृत्य की-साभिनय एर निरभिनयपूर्वक नाचने की, (५ गीय) गाने की, (६ पाइय) वीणा एव पटह-ढोल आदि बाजे बजाने की, (७ सरगय) ते प्रति अभारने (लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ) मन माहिनी, गणतनी तथा पक्षीना श४ मा पानी (बावत्सरिकलाओ) ७२ जाम (सुत्तओ य) सूत्र३५थी (अत्थओ य) तेभर मथ ३५थी, तथा (करणओ य) प्रयोग ३५थी (सेहाविहिति) पास ४२२५री, (सिक्सारिहिति) मल्यास ४शपरी (त महा म तेर मायाना नाम मा प्रभाव छ-१ (लेह) मा समपानी, २. (गणिय) गलितनी, . (रूव) ३५नी अथान य, शिक्षा, सुपण, भय, १४ मा ચિત્ર ઈત્યાદિમા રૂપ નિર્માણ કરવાની, ૪ (દ) નૃત્યની–સાભિનય તેમજ नलिनय--पू' नावानी, ५ (गीय) सापानी, (वाइय) a तमा परदास मा पानि वानी, ७ (सरगय) स्पशनी-जीतना भूगभूत