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पेसुपणं परपरिवायं अरइरई मायामोसं मिच्छादसणसलं अकरणिजं जोगं पञ्चक्खामो जावजीयाए, सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउन्विहंपि आहारं पञ्चरखामो जावजीवाए, ज पि य इम मिच्छादसणसाल अमरणिज जोग पञ्चाखामो जावजीपाए ' सर्व क्रोध मान माया लोभ प्रिय द्वेष कलहम् अभ्यारयान पेशुन्य परपरिवादम् भरतिरता मायामृपा मिथ्यादशेनशन्यमरुग्णीय योग प्रत्यारयामो यारनामम्-अअयानि साणि पदानि प्राग् ब्यारयातानि । 'सवं असणं पाणं खाइम साइम चउबिपि आहार पञ्चस्यामो जावनीवाए' सर्वमशन पान साथ स्वाद्य चतुर्विधमपि आहार प्रत्यारयामो यावीवम् । 'अपि य इम सरीर इट्ट कत पिय मणुण्ण मणाम पेज भेज वेसासिय संमय बहुमय अणुमयं भडकरडगसमाण, माणसीय माण उण्हमाणे खुहा माणं पिवासा माणं वाला माण अब्भक्खाणं पेसुण्ण परपरिवाय अरइरद ) इसी तरह उन्हीं को साक्षीपूर्वक समस्त कोन का, समस्त मान का, समस्त माया का, समस्त लोभ का, समस्त प्रिय का, समस्त द्वेष का, कलह का, अभ्याख्यान का, पैशुन्य का, परपरिवाद का, अरति-रति का (मायामोस) मायामृषा का, (मिच्छादसणसल्ल) मिथ्यादर्शन शन्य का, (अकरणिज्ज जोग) एव अकरणीय योग का (पञ्चक्खामो जावजीवाए) यावनीर प्रत्याख्यान करते है। (सव्यं असण पाण खाइम साइम चउबिपि आहार पञ्चक्खामो जावज्जीवाए) समस्त, अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य इन चार प्रकार के आहारों का यावजीव प्रत्यारयान करते है। (ज पि य इम सरीरं इह न पिय मणुण्या मणाम पेनं थेज वेसासिय समयं वहुमय अणुमय भडकरंडगसमाण, मा णं सीय माण उग्ह मा ण खुहा माण
૪) એવી રીતે તેમની જ સાક્ષી પૂર્વક સમસ્ત કોધનું, સમસ્ત માન, સમસ્ત માયાનું, સમરત ભનુ, સમત પ્રિયનુ સમસ્ત દેષનુ, કલહનું भयाध्याननु (मनु), शुन्यनु, ५२परिवाहनु, मतिनु, तिनु, (मायामोस) भायाभूषानु, (मिच्छादसणसल्ल) भिथ्याश-शस्यनु, (अकरणिज्ज जोग) तभा म४२थीय योगनु (पचरसामो जायज्जीवाण) वनपर्यन्त प्रत्याध्यान शये छीमे (सव्व असण पाण साइम साइम चउब्धिपि आहार पच्चमसामो जावज्जीवाए) समस्त मशन, पान, माध, स्वाध वगेरे यार ४१२ना मालाशेनु यापन अत्याध्यान गये छीय (ज पि य इम सरीर इकत पिय मणाम मगुण्ण पेज थेन वेसासिय समय बहुमय अणुमय भडकग्डग