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पोषयपिणी-टीया सू ८ अर्मयताना देयन्नापपाते देनुप्रदर्शनम ०९ देवेसिया, अत्थेगडया णो देवेसिया गोयमा जे इमे जीवा गामा-गर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कव्वड-मडंव -दोणमुह-पट्टणा-सम-संवाह सपिणवेसेमु अकामतण्हाए अकामकको देश म्यात , अयरको न दा स्यात !-- ( यद्यत यदेशो देवो भवति को न भवनानि फिनिमित्तकोऽय भैन । इति प्रा, भगानुत्तग्माह-'गोयमा जे दमे जीगा गामा-गर-गयर - गिगम-रायहाणि-खेड-कपट-मड-दोणमुद्द-पट्टणा-सममाह-मणिमर' गौतम । य इम जीया प्रामा-ऽऽकर-नगर-निगम-गजधाना-पेट-कर्मट--मटन्य-योगमुग्य--पटनाऽऽश्रम-नार-मनिवशेषु-ग्रागन्याग्यातम्पपु 'अामतण्डाए' अकामना गया-अकामाना=निर्जगधनभिपिणा मता तृष्णा तृट्-अकामतृष्णा तया, 'अ.
'म केगटेण भने । ' दयादि ।
प्रश-(भते । ) ह भटन (मे केणटेण प चह जत्थेगडयाटेवे सियाअत्येगइया टेरे णो मिया) आप ऐमा क्मि कारण से कहते है कि कितनक जीव देवलोक में उपन्न हो मकन है और किननक नहीं हो सकते है, । उत्तर--(गोयमा) गौतम । मुनो, (जे इम जी गामा-गर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कबड-मडंग-ढोणमुहपट्टणा-सम-सपाह-मणिमेस अफामतण्डाए अकामबहाए अकामरमचरेवामेणं भकाम-अण्डाणग-मीया-या-दस-मसग-सेय-जल्ल-मल्ल-पक-परितारेण अप्पतरो वा मुन्नतरी काल अप्पाण परिकिलसति, परिफिलेसित्ता ग कालमासे काल किया अण्णयरेमु पाणमतरेसृ देवीएस देवत्ताए उपपत्तागे माति) जो जीव प्रकोट्ट महित ग्राम म, मुरणादिक की ग्वानों म, कर_ 'से रेणदेण भते ! त्या
प्रभ-(भते) Bad I (मे वेणद्रेण एवं उच्चद अत्थेगडया देरे मिया अत्यगइया ने जो मिया) माप ओम गु १२४८
८ ४७१ पक्षामा Crपन्न ब
ने साल नयी 4051? उत्तर-(गोयमा) भातम ! माला (जे मे जीना गामा-गर-गयर-णिगम-गयहाणि-घट कपटमटर-लोणमुह-पट्टणा-मम-मनाह-मणिसेमु अकामनण्हाग अकामहाग अकामभग्नामेण अकाम-अण्डाणग-मीया-यन नम-ममग-मेय जल-मत्ल पक-परिता पण अपतगे ना मुनतगे वा काल आपाण परिकिटमति, परिफिलमित्ता कालमामे काल किन्चा अण्णयरेसु वागमतमु देवलोम देवत्ताप अनागे माति) २७ट माता भाभभा, सुवर्षांनी ખાણમાં, વાગ્ના નગરમા, વ્યાપારીઓની વસ્તીવાળા નિગમમાં, રાજ