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भोपपातिकमंत्र चक्खाय- पावकम्मे इओ चुए पेच्च देवे सिया?, गोयमा । अत्थेगडया देवे सिया, अत्थेगइया णो देवे सिया ॥ सू०७॥
मुलम्-से केणटेणं भंते । एवं बुच्चड-अत्थेगइया भदन्त । 'असजए अविरए अ-पडिहय-पचाखाय-पाकम्मे ' अभयत अपिंगत अ-प्रतिहत-प्रया यात-पापक्रमाच्या यातपूर्व , 'डओ चुए' इत मर्यलोकात् , युतमृत , ' पेच देव सिया' प्रेय देव स्यात्-प्रेय-जन्मान्तरे देव -देवगतिसमापन्न स्यात किम् ? इति प्रश्ने भगवानुत्तर कथयति-'गोयमा अत्येगडया देवे सिया' गौतम' अस्येकको देव स्यात्-कश्चिदेव स्यात्, 'अत्थेगइया णो देवे सिया' अत्येकको नो देव स्यात्-कश्चिदेवगतिसमापनो न भवेत् ।। सू० ७ ॥
टीका~से केणद्वेण भते " इत्यादि । ' से केणटेण भते । 'एव बुचइअत्यंगइया देवे सियाअत्यंगल्या णो देवे सिया? 'तकेनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते ऽस्त्ये
'जीवे णं भते।' इत्यादि।
(भंते)हे भदत (असजए अविरए अ-प्पडिहय-पचक्खाय-पावकम्मे जीवे) जो जीव असयमी है, अविरतिसपन्न है, पापकर्मों का जिसने निंदाद्वारा एव विनिवृत्तिद्वारा प्रत्याख्यान नहीं किया है ऐसा वह जीव, (इओ चए) इस मर्त्यलोक से मर कर (पेच) परलोक में जन्मान्तर मे (देवे सिया) क्या देवलोक में उत्पन्न हो सकता है ? उत्तर(गोयमा) हे गौतम । ( अत्यंगइया देवे सिया अत्यगइया णो देवे सिया ) कितनेक जीव देवलोक म उत्पन्न होते है और कितनेक जीव देवलोक में उत्पन्न नहीं भी होते है ।। सू ७॥
'जीये ण भते' इत्यादि
(भते) सात (असजाए अविरए अ-प्पडिहय-पच्चासाय-पावकम्मे जीवे) જે જીવ અભયમી છે, અવિરતિસ પન્ન છે, પાપકર્મોનુ જેણે નિદા દ્વારા तभर विनिवृत्ति वारा प्रत्याज्यान ४यु नथी सेवा त ७५ (इओ चुए) मा भत्संभाथी भरीने (पेन्च) ५२भा --मातरभा (देवे सिया) शुदेव बोभा पन्न य श छ ? (गोयमा) उत्तर-3 गौतम! (अत्थेगइया देवे मिया अत्थेगइया णो देवे सिया) मा वाम पन्न थाय छ અને કેટલાક જીવ દેવકમાં ઉત્પન્ન નથી પણ થતા (સૂ ૭)