SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 575
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८६ ओषपातिकमा गारियं पव्वइया, अत्थेगडया पचाणुव्वडयं सत्तसिम्खावइय दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवण्णा ॥ सू० ५८॥ मूलम्-अवसेसा णं परिसा समणं भगवं महावीर वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी-सुअक्खाए ते सन्येरुके 'पंचाणुब्वइय सत्तसिखावाय दुपालसहिं गिहिधम्म पडिवण्णा' पञ्चा णुवतिक सप्तशिक्षागतिक द्वादशविध गृहिधर्म प्रतिपन्ना ॥ मू०५८ ॥ टीका-'अवसेसा ण परिसा' इत्यादि । 'अपसेसा ण परिसा समण भगव महागीर बदद णमसइ, वदित्ता णमसित्ता एव वयासी' अवर्गपा अवांनाष्टा खल परिपतु श्रमण भगान्त महावीर चन्दते नमस्यति, वन्दिया नमस्यित्वा एवमनादात्'मुअक्खाए ते भते । णिग्गये पारयणे' स्वारयात=सुष्टु कथित सामान्यतस्त्वया भदन्त । निम्रन्थ प्राचनम् , 'एव मुप्पण्णचे' एव सुप्रज्ञमम्-विशेपकथनात् , 'मुभासिए' धम्म पडिवण्णा) कितनेकों ने पाँच अणुवत, सात शिक्षानत-दम तरह १२ प्रकार का गृह स्थधर्म स्वीकार किया ॥ सू ५८॥ 'अवसेसा ण परिमा' इत्यादि । (अपसेसा ण परिसा) अवशिष्ट परिपत्ने (समण भगव महावीर) श्रमण भग वान् महावीर को (वंदद णमसइ) वन्दना एव नमस्कार किया, (पदित्ता णमसित्ता एवं यासी) वदना नमस्कार करने के बाद फिर उन्होंने इस प्रकार कहा-(सुअक्खाए त भते ! जिग्गथे पावयणे) हे भदन्त । आपने निर्ग्रन्थ प्रवचन बहुत अच्छा कहा, (एव सुप्प ण्णत) और आपने इसका बहुत अच्छी तरह से प्ररूपण किया, (सुभासिए) आपन सूब सविह गिहिधम्म पडिपण्णा) 32सा ५५ मानत मा शिक्षाप्रत ओम १२ પ્રકારને ગૃહસ્થ ધર્મ સ્વીકાર કર્યો (સૂ ૫૮) 'अवसेसा ण परिसा' ईत्यादि (अवसेसा ण परिसा) पानी परिप(समण भगव महावीर) भए, लगवान महावीरने (वदइ णमसइ) पहुना तमा नम२४१२ ४ो, (वदित्ता णमसित्ता एव पयासी) पहना नभ२०१२ ४या ५ तेमाये माप्रमाणे धु-(मुअक्साए ते भते । णिग्गथे पावयणे) हे सहन्त ! मा निधन्य अवयन गहु सा३ ४ , (एव सुप्पण्णत्ते) भने मापे तेनु : सारी शेते प्र३५ उयु (सुभासिए)
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy