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भोपपातिक
उए सहकत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे णिज्जाणमग्गे अवितहमविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे इहट्टिया जीवा सिज्यंति मंत भावाच्या पायातीति । 'सिद्धिमग्गे ' मिदिमार्ग - सिद्धि तकृत्यता-तस्या मार्ग= उपाय, 'मुत्तिमग्गे' मुक्तिमार्ग= सलफर्मनियोगम्य तु 'णिव्वाणमग्गे ' निर्वाणमार्ग –निर्वागस्य=सकलकर्मक्षयजन्यस्य पारमार्थिकमुपस्य मार्ग, 'णिज्जाणमग्गे ' निर्याणमार्ग –निर्यागम्=अपुनरावृत्या सारात् प्रस्थान तस्य मार्ग, 'अवित ' अवितथम् - वितथ= मिथ्या तद्विपरीत- त्रिकालाबाधितमित्यर्थ । ' अविसंधि ' अविसन्धिअव्यवच्छिन्न-न फद्राचिदपि निछेमुपगतम् । 'सव्यदुक्खप्पडीणमग्गे ' सर्वदु स्वप्रहाणमार्ग – सनाणि=जन्ममरणादीनि दु सानि प्रहीगानि यत्र स सर्वदु खप्रहीगो मोक्षस्तस्य कर्त्तन (छेदन) इसी आगम से होता है । (सिद्धिमग्गे ) यह आगम ही सिद्धि-कृत कृत्यता का एक मार्ग है। (मुत्तिमग्गे) समस्त कर्मों के क्षय का यही एक उपाय है। ( गिव्वाणमग्गे) समस्त कर्मों के क्षय से उद्भूत पारमार्थिक सुख का यही एक रास्ता है । ( गिज्जाणमग्गे ) मसार में जान का पुन आगमन न हो इस रूप से जो जीव का ससार से प्रस्थान होता है उसका प्रधान कारण एक यही आगम है आगम त्रिकाल मे भी कुतर्कों द्वारा बाधित नहीं है । ( अविसधि ) अपेक्षा से न इसका कभी विच्छेद होता है, और न कभी विच्छेद होगा । (सत्रदुक्खपहीणमग्गे) समस्त दुयो का जिसमे सर्वथा अभाव है ऐसे मोक्ष का यही एक उत्तम मार्ग है। जिस लिये यह प्रभु द्वारा प्रतिपादित आगम पूर्वोक्त प्रकार से इन सद्गुगी
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( अवितह) यह महाविदेह क्षेत्र की
जाधा भावती नथी (सल्लकत्तणे) भाया, भिथ्यात्व तेभन निहान शब्योना उर्तन (छेन) या भागभथी थाय छे (सिद्धिमग्गे) या भागभन्न सिद्धि-तनृत्यताना भेड भार्ग छे ( मुत्तिमग्गे) समस्त भेना क्षयने या ४ उपाय छे (णिव्वाणम) समस्त 8भना क्षयर्थी उत्पन्न थता पारमार्थिक सुमनो साथ भेड रस्तो हो ( णिज्जानमग्गे) ससारभा भवनु पुन आगमन न थाय એ રૂપથી જે જીવનુ સ સારથી પ્રસ્થાન થાય છે તેનુ પ્રધાન કારણ એક सार आगमछे (अवितह) मा मागभनशु अभा पशु उतने द्वारा भधित नथी (अविसधि) महाविदेह क्षेत्रनी अपेक्षाथी नथी मानो ही विश्छे थयो, नथी विच्छेद्द थातो भने नथी उढी विरह थवाना (सव्यदुत्सप्पहीणमग्गे ) સમસ્ત દુખાને જેમા અભાવ છે એવા મેક્ષને આ એક ઉત્તમ મા છે જેથી પ્રભુ દ્વારા પ્રતિપાદન કરેલુ આ આગમ પૂર્વોક્ત એવા સદ્ગુણેાથી યુક્ત