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जोपपातिसूत्रे
लिया पसत्यज्झाण-तव-पाय-पणोहियपट्टाविएणं उजमववसायग्राहिय- णिजरण-जयण - उवओग णाण- डसण- [ चरित] विमुद्ध
एण' सम्मोनियम कर्णधारा - नौकानाहको यस तथा ते, सम्प
श्रीग-स्विग्म्प
भावा, 'सजमपोषण' - पो= यमकया । 'सीरिया' करिना - सहस्रशीला हरवारका जीता, 'पसलझातायपणोलिय पहारिण' प्रगस्तध्यानतपोयातप्र गोढितव्रभावितेन-धान धर्मनिरूप तप देना, तेन प्रणोदित = प्रेरित, जनन, 'उतम समाय-ग्गहिय-जिज्जरण जयणउपभोग गागमचरितमुद्रायाममरियसारा' उपमहानिर्जर गयतनोपयोगज्ञानदर्शनचारिननिशुलवण्डनमाउथममाया मामलानिश्रय - नाभ्या मूल्यरूपाभ्या गद्ग्रहात - फात निर्जरणयननोपयोगज्ञानदर्शनचारिविशुद्ध नतवर= विशुद्ध सम्यक्य हा नियामक कार के स्थानापन है, अथात् विशुद्ध समकित का भ जिसम वटिया के समान है । (पसत्य ज्झागतन नाय पणयिताविएण) प्रास्त ध्यानरूप तपरूपा वायु से प्रेरित होकर जो आग २ बहता रहता है । इस तरह इन पूर्वोक्त विशेषगों से निष्टि इस समस्या जराज के द्वारा इस माररूप अपार दुम्तर समुद्र को (ग) धारदार स्थिर भावात मुनिजन ही (तरति) पार करते है | अन यहा से मुनिजना के ये प्रयुक्का अर्थ स्पष्ट किया जाता है- (सीलरुलिया ) ये मुनिशी - २८ जार के भाको वारण करना है। (उजम-नवसाय-ग्गहियवितरण-जयग-उनओग नाग-सण [चरित]विमुद्धवयवभडभरियसारा) उद्यम अर्थात्
જેમા વિષ્ણુદ્ધ સમ્યકત્વ૮ નિર્યામ-~- ધારને ખ્યાન (મુડાની) છે, અર્થાત્ વિશુદ્ધ भभज्तिनो साल ४ मा भुजनीना समान हे (पसत्य झाण तन वाय पणो ल्लिय पहारिण) अगस्त વ્યાનરૂપ તરૂપી વાયુથી પ્રતિ ચઇને જે આગળ આગળ વધતા રહે છે એ રીતે તે પૂવાન વિશેષથી વિશિષ્ટ ઞયમરૂપી વહાણુકાન મારરૂપ અપા દુસ્તર સમુદ્રને ધીર વી સ્થિ સ્વભાવ बाजा भुनिनो (तरति वेगही यी भुनिनो भारे साडेसा विशेषलाना अर्थ भ्यष्ट चश्वाभा गावे - (सील कलिया) येथे भुनिम्नो सीस१८ हुन्नरगीसना भडारने धागा उग्वावाजा (उजम-वनसान गहिन - णिज्ज रण जयण उपओगणाणण [चरित] निमुपयर भट भरिय-सारा) Caम गर्थात्